उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को नुकसान पहुंचाने वाले रसायन और कीटनाशकों पर पाबंदी की समीक्षा के लिये विशेषज्ञ समिति के गठन के बाद फिर से समिति गठित करने के चलन पर सवाल उठाया। न्यायालय ने कटाक्ष करते हुए यह भी कहा कि ऐसा लगता है, सरकार तबतक समितियों का गठन करती रहती है जबतक उसे अपने अनुकूल रिपोर्ट नहीं मिल जाती। शीर्ष अदालत गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘वनशक्ति’ की तरफ से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में इस आधार पर नुकसान पहुंचाने वाले कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने आग्रह किया गया है कि वे किसानों, खेत श्रमिकों और आसपास रहने वाले अन्य लोगों के लिये गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करते हैं।
एनजीओ ने कहा कि जनवरी 2018 तक कम-से-कम 27 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया जाना था। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश जे बी पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘‘आखिर आप इतनी सारी समितियों का गठन क्यों करते हैं? एक बार जब खुराना समिति ने 27 कीटनाशकों पर प्रतिबंध की सिफारिश की, तो दूसरी समिति की जरूरत क्यों पड़ी? खुराना समिति की 27 कीटनाशकों पर पाबंदी की सिफारिश के क्या आधार थे? और फिर राजेंद्रन समिति ने सिर्फ तीन पर ही प्रतिबंध लगाने की बात क्यों कही।हमें बताइये कि किस कारण से राजेंद्रन समिति ने खुराना समिति से अलग रुख अपनाया।’’ पीठ ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि हर बार जब आपके (केंद्र) पास एक समिति से प्रतिकूल रिपोर्ट आती है, तो आप एक नई समिति बना देते हैं। आप अनुकूल निर्णय मिलने तक समितियां गठित करते रहते हैं।’’
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने मामले में विस्तार से जानकारी देने के लिये समय देने का आग्रह किया। इसके बाद पीठ एक अगस्त को मामले की सुनवाई के लिये सहमत हो गई। पीठ ने कीटनाशकों के उपयोग की समीक्षा के लिये कई समिति गठित करने के पीछे के औचित्य पर सवाल उठाया। उसने कहा कि दो समितियां पहले ही 27 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश कर चुकी हैं। अनुपम वर्मा समिति ने 2015 में अपनी रिपोर्ट में उपयोग में आने वाले कुल 66 कीटनाशकों में से 13 पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी।
रिपोर्ट पर कुछ आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्र ने 27 कीटनाशकों की समीक्षा के लिए 2017 में एस के मल्होत्रा की अध्यक्षता में एक और विशेषज्ञ समिति गठित की। एक साल बाद मल्होत्रा समिति ने 27 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत बताई। उसके बाद कीटनाशक पंजीकरण समिति ने एक और उप-समित गठित की। इसकी ताजा रिपोर्ट के अनुसार, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने मई, 2020 में एक अधिसूचना का मसौदा जारी कर तीन कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया। सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि सरकार प्रक्रिया का पालन करती है और विज्ञान पर भरोसा करती है।