सरकार को लगेगा करोड़ों का चूना, इस फिराक में ट्यूबवैल मेंटेनेंस का काम लेने वाले ठेकेदार
जालंधर। इस समय शहर में 600 से ज्यादा ट्यूबवैल लगे हुए हैं, जिनके माध्यम से नगर निगम लाखों घरों को पीने का पानी सप्लाई करता है। इन ट्यूबवैलों को मेंटेन करने तथा चालू हालत में रखने के लिए निगम 2 साल के लिए प्राइवेट कांट्रैक्टर को ठेका देता है जिसमें पिछले समय दौरान भी भारी गोलमाल होता आया है। इस बार नगर निगम के संबंधित विभाग के अधिकारियों ने करीब 8 करोड़ रुपए के टैंडर लगाने का काम शुरू कर रखा है जिनमें से कई जोन के टैंडर 16 मार्च को खुलने जा रहे हैं। चाहे निगम के सभी ट्यूबवेलों पर ऑटोमेटिक टाइमर लगे हुए हैं और उनके माध्यम से ट्यूबवेल अपने आप चालू और बंद हो जाते हैं परंतु फिर भी नगर निगम ने इन टैंडरों में हर 5 ट्यूबवैल चलाने के लिए एक आदमी रखने की शर्त लगा रखी है जिससे ठेकेदारों को इन टैंडरों के माध्यम से करोड़ों रुपए का फायदा होने जा रहा है।
पता चला है कि ट्यूबवेल मेंटेनेंस का काम लेने वाले ज्यादातर ठेकेदार इस बड़े काम को आपस में ‘पूल’ करके लेने की फिराक में हैं। ऐसा पूल पहले भी टैंडरों में होता आया है। आपसी पूल के माध्यम से ठेकेदार निगम को टैंडर भरते समय बहुत ही कम डिस्काऊंट ऑफर करते हैं और आपस में मिलकर एक एक या दो-दो जोन का काम बांट लेते हैं। सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि इस काम में महारत रखने वाला एक बड़ा ठेकेदार बाकी ठेकेदारों द्वारा किए जाने वाले पूल में बाधा बन रहा है। इस कारण लगता है कि 16 मार्च को शायद बाकी छोटे ठेकेदारों का मूव सिरे न चढ़े। खास बात यह है कि यह बड़ा ठेकेदार इस टैंडर के तहत बिना लेबर के ही काम करने को तैयार है जिससे निगम को करीब 5 करोड़ रुपयों की बचत हो सकती है परंतु निगम अधिकारियों का कहना है कि चूंकि यह टैंडर चंडीगढ़ बैठे चीफ इंजीनियर ने पास कर रखे हैं, इसलिए वह उन में फेरबदल नहीं कर सकते। अब देखना है कि 16 मार्च को जब यह टेंडर खुलते हैं तो क्या सीन बनता है।