नई दिल्ली। नई आबकारी नीति घोटाला मामले में आरोपितों की भूमिका पर अहम सवाल उठाते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट ने विस्तार से तथ्यों को स्पष्ट किया। जमानत नहीं देने का स्पष्ट आधार बातते हुए विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने विजय नायर को जहां घोटाले का सूत्रधार तो समीर महेंद्रू को केंद्र बिंदु या आधार बताया। उन्होंने कहा कि यह दिखाने के लिए प्रथम दृष्टया सबूत मौजूद हैं कि नायर विभिन्न आरोपित व्यक्तियों के बीच अस्तित्व में आने वाली पूरी आपराधिक साजिश के सूत्रधार के रूप में सामने आए थे।
नायर मूल रूप से आप के मीडिया प्रभारी थे लेकिन जांच में पता चला कि वास्तव में वह विभिन्न स्थानों पर शराब कारोबार में हितधारकों के साथ हुई विभिन्न बैठकों में आप और दिल्ली सरकार का प्रतिनिधत्व कर रहे थे। इतना ही नहीं बैठकों में उनकी भागीदारी को इस तरह से देखा जाना चाहिए कि वह आप के एक वरिष्ठ मंत्री को आवंटित आधिकारिक आवास में रह रहे थे। वहीं सरकार या आप में से किसी ने भी आधिकारिक रूप से इन बैठकों में भाग नहीं लिया। नायर को ही न सिर्फ दक्षिण शराब लाबी ने 100 करोड़ रुपये की रिश्वत राशि दी गई थी बल्कि नायर ने भुगतान की पूरी योजना और उपरोक्त रिश्वत की वसूली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं समीर महेन्द्रू के खिलाफ आरोपों के बारे में अदालत ने कहा चर्चा और अदालत के सामने रखी गई सामग्री के मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि मामले के केंद्र या आधार बिंदु था।महेंद्रू के चारों ओर ही उपरोक्त आपराधिक साजिश विकसित हुई और उसने गठन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।