हिन्दू व्यक्ति का शव मुस्लिम रीति-रिवाज से दफनाया, पति के शव के लिए पत्नी पहुंची हाईकोर्ट, जानिए पूरा मामला
भारतीय अधिकारियों की गलती के चलते अपने पति के पार्थिव शरीर पाने के लिए दर-दर भटक रही पत्नी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में आज हुई सुनवाई. इन दौरान विदेश मंत्रालय ने कोर्ट को बताया है कि मंत्रालय की ओर से शव को भारत भेजने के लिए सऊदी अरब सरकार को लिखा है, लेकिन अभी तक हम उनके जवाब का इंतज़ार कर रहे है. दिल्ली हाई ने विदेश मंत्रालय को कहा है कि इस मामले में जितनी जल्दी हो सके शव को भारत मंगाया जाए क्योंकि यह बेहद संवेदनशील मामला है. फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 23 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है.
दरअसल 2 दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट में एक महिला ने याचिका लगाई थी कि, जेद्दा में उनके पति की मौत हो गई थी. इससे बाद भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा उनके पति मृत्यु प्रमाणपत्र में धर्म का गलत अनुवाद कर दिए जाने के कारण उनके पति को सऊदी अरब में दफना दिया गया है. जबकि उनके पति हिन्दू हैं. ऐसे में पत्नी ने अपनी याचिका में बताया कि वह अपने पति के अंतिम संस्कार को हिंदू रीति रिवाज से करने के लिए पति के पार्थिव शरीर को भारत लाना चाहती है और इसके लिए वह दर-दर भटकने को मजबूर है.
महिला ने कहा है कि कहीं से भी मदद ना मिल पाने के बाद उसने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कोर्ट ने इस मामले में बेहद संवेदनशील रुख अपनाते हुए इस घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया और विदेश मंत्रालय को आज इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने और महिला को उसके पति का शव दिलवाने के निर्देश दिए.
याचिकाकर्ता महिला अंजू शर्मा के पति संजीव कुमार सऊदी अरब में काम करते थे. हार्ट अटैक के चलते 24 जनवरी को उनकी सऊदी अरब में मौत हो गई. जिसके बाद शव को अस्पताल में रखा गया था. उसके बाद से परिवार लगातार शव को भारत लाने का अनुरोध कर रहा था लेकिन 18 फरवरी को उन्हें बताया गया कि उनके पति के शव को सऊदी अरब में ही दफन कर दिया गया है. यह बात पूरे परिवार के लिए अजीब और चौंकाने वाली थी. क्योंकि महिला के पति हिंदू थे तो फिर उन्हें दफनाया क्यों गया?
बाद में जब इस मामले में महिला ने पूछताछ की तो भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि जेद्दा के वाणिज्यिक दूतावास में उनके पति के मृत्यु प्रमाण पत्र में अनुवाद के दौरान गलती से उनके पति का धर्म इस्लाम लिख दिया गया जिसके बाद उन्हें दफना दिया गया था. लेकिन याचिकाकर्ता अंजू शर्मा का तर्क था कि परिवार से ना तो दफनाने के लिए कोई मंजूरी ली गई और ना ही परिवार को इस बारे में सूचित किया गया. पिछले 7 हफ्ते से यह महिला अपने पति के अवशेष पाने के लिए जद्दोजहद करती रही लेकिन कहीं भी कामयाबी न मिलने पर उसने फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.