श्रीलंका के विधायकों ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, 13वें संशोधन को लागू करने की मांग की

Update: 2022-01-19 06:40 GMT

दिल्ली। श्रीलंका (Sri Lanka) के नॉदर्न प्रांत के प्रमुख तमिल जनप्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सालों से लंबित तमिल मुद्दे के दीर्घकालिक राजनीतिक समाधान और विवादास्पद 13वें संशोधन के क्रियान्वयन में भारत के हस्तक्षेप का अनुरोध किया है. भारत-श्रीलंका (India-Sri Lanka) के बीच 1987 में तत्कालीन श्रीलंकाई राष्ट्रपति जे आर जयवर्द्धने और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के बीच हुए समझौते के परिणामस्वरूप 13वां संशोधन सामने आया था.

इसमें श्रीलंका में तमिल समुदाय को अधिकार सौंपने के प्रावधान हैं. भारत ने 13वें संशोधन का पूरी तरह क्रियान्वयन करने, प्रांतीय परिषद के चुनाव जल्द आयोजित करने और सुलह प्रक्रिया पूरी करने के माध्यम से श्रीलंका के अल्पसंख्यक तमिल समुदाय के अधिकारों के संरक्षण के लिए लगातार अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है (13th Amendment). हालांकि सत्तारूढ़ श्रीलंका पीपल्स पार्टी के सिंहला बहुसंख्यक समर्थक प्रांतीय परिषद प्रणाली को पूरी तरह समाप्त करने की वकालत करते रहे हैं. वरिष्ठ तमिल नेता और तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) के नेता आर संपन्तन के नेतृत्व में जनप्रतिनिधियों के एक शिष्टमंडल ने मंगलवार को यहां भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले से मुलाकात की और प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi Letter) को संबोधित पत्र उन्हें सौंपा. टीएनए के साथ दो अन्य समूह भी इसमें शामिल हुए जिनमें तमिल बहुल नॉदर्न प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री सी वी विग्नेश्वरन भी शामिल थे. टीएनए नेता एम ए सुमंतिरन ने कहा, 'तमिल नागरिकों के प्रश्न पर समय-समय पर अनेक वादे किए गए हैं. हमारा अनुरोध इन्हें पूरा करने का है.'

पत्र में अतीत में भारतीय और श्रीलंकाई नेताओं द्वारा किए गए अनेक वादों की याद दिलाई गई है जिनमें 13वें संशोधन पर काम करने की बात कही गयी थी. प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi Sri Lanka Tamil) से अनुरोध किया गया है कि एक अविभाजित राष्ट्र की रूपरेखा के तहत आत्म-निर्धारण के अधिकारों के साथ तमिलभाषी लोगों का उनके प्राकृतिक पर्यावास वाले क्षेत्रों में गरिमा, आत्म-सम्मान, शांति एवं सुरक्षा से रहना सुनिश्चित किया जाए. पत्र में लिखा गया है, 'भारत सरकार पिछले 40 साल से इस काम में सक्रियता से लगी है और हम एक न्यायोचित तथा दीर्घकालिक समाधान की तलाश में भारत द्वारा जताई गयी दृढ़ प्रतिबद्धता के लिए आभारी हैं.'


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