…तो इस देश का क्या होगा?…देश की सर्वोच्च न्यायालय ने कह दी बड़ी बात
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के साथ विपक्ष शासित राज्य सरकारों के बीच पिछले दिनों टकराव की कई घटनाएं सामने आईं। इस बढ़ते टकराव के कारण कई महत्वपूर्ण मामले अटक गए हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि निष्पक्ष और …
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के साथ विपक्ष शासित राज्य सरकारों के बीच पिछले दिनों टकराव की कई घटनाएं सामने आईं। इस बढ़ते टकराव के कारण कई महत्वपूर्ण मामले अटक गए हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि निष्पक्ष और पारदर्शी जांच विफल न हो इसके लिए एक तंत्र की आवश्यकता है। जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है और अगर सरकारें इससे निपटने के लिए सुझाव नहीं देती हैं तो अदालत इस पर दिशानिर्देश तैयार करेगी।
शीर्ष अदालत ईडी के एक अधिकारी से जुड़े रिश्वतखोरी मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने की ईडी की याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई कर रही थी। इस अधिकारी को तमिलनाडु सतर्कता एवं भ्रष्टाचार रोधी निदेशालय (डीवीएसी) ने रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
बता दें कि इससे पहले पश्चिम बंगाल में सीबीआई और ईडी अधिकारियों पर हाल ही में हमले हुए थे। ऐसे में राज्य सरकारों द्वारा केंद्रीय एजेंसियों की जांच में सहयोग नहीं करने के मद्देनजर टकराव का मुद्दा महत्वपूर्ण हो गया है। ईडी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह उस (रिश्वत के आरोपी) अधिकारी को सपोर्ट नहीं कर रहे हैं, लेकिन जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य के अधिकारियों ने रिश्वत मामले की जांच की आड़ में तमिलनाडु में ईडी कार्यालयों पर छापा मारा था और राज्य के मंत्रियों से जुड़े अन्य मामलों से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज उठा ले गए थे। मेहता ने कहा कि राज्य अपने मंत्रियों को बचाने की कोशिश कर रहा है और ईडी की जांच में बाधा डाल रहा है। इसके बाद पीठ ने तमिलनाडु पुलिस से सुनवाई की अगली तारीख पर रिश्वत मामले में एकत्र की गई सामग्री पेश करने को कहा।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अमित आनंद तिवारी से सुनवाई की अगली तारीख तक रिश्वत मामले की जांच आगे नहीं बढ़ाने को कहा। जब पीठ ने मेहता से पूछा कि क्या ईडी ने भी रिश्वत लेने के आरोपी अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया है, तो उन्होंने सकारात्मक जवाब दिया और कहा कि एजेंसी भी उनके खिलाफ जांच करना चाहती है।
इसके बाद न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने तमिलनाडु सरकार और ईडी दोनों से देश के संघीय ढांचे में जांच के लिए एक समुचित तंत्र का सुझाव देने के लिए कहा। उन्होंने कहा ‘‘ठीक है, आप (ईडी) भी मामले में आगे न बढ़ें।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम नहीं चाहते कि संघीय ढांचे में जांच को लेकर आरोप-प्रत्यारोप के बीच वास्तविक मामलों में अपराधी छूट जाएं।’’
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने कहा, “यह तो सिर्फ शुरुआत है। अगर अलग-अलग राज्यों में, जहां ईडी के अधिकारी तैनात हैं, वहां ऐसा होगा तो इस देश का क्या होगा? आपको सर्वोत्तम प्रक्रियाओं का सुझाव देना होगा, ताकि हमारे संघीय ढांचे में जांच के लिए एक तंत्र विकसित किया जा सके।” पीठ ने ईडी के साथ प्राथमिकी साझा नहीं करने के लिए तमिलनाडु सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि प्राथमिकी को पुलिस की वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए था।
ईडी ने अपनी याचिका में तमिलनाडु सरकार को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अनुसूचित अपराधों के संबंध में राज्य में दर्ज सभी प्राथमिकियों को साझा करने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है। एक दिसंबर, 2023 को ईडी के अधिकारी को तमिलनाडु सरकार के सतर्कता और भ्रष्टाचार रोधी निदेशालय (डीवीएसी) ने एक सरकारी कर्मचारी से 20 लाख रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।