प्लास्टिक को नष्ट करने वैज्ञानिकों ने बनाया अनोखा एंजाइम, ऐसे करता है काम
प्लास्टिक (Plastic) के इस्तेमाल ने जीवन को जितना आसान बनाया है. उतना ही पर्यावरण को प्रदूषित किया है. प्लास्टिक से होना वाला प्रदूषण (Plastic Pollution) चिंता बढ़ा रहा है. हालांकि, हमारे वैज्ञानिक हमारे आस-पास के पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए, प्लास्टिक का इस्तेमाल करने के तरीके खोजने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. इसी कड़ी में, वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एंजाइम (Enzyme) बनाया है जो प्लास्टिक के कंपोनेंट्स (Components) को बहुत जल्दी तोड़ देता है. इसपर एक शोध किया गया है, जिसे Nature जर्नल में पब्लिश किया गया है. इसे बनानी वाली टीम का कहना है कि प्लास्टिक प्रदूषण से दूषित जगहों को साफ करने के लिए भी हम इस एंजाइम वैरिएंट का इस्तेमाल कर सकते हैं.
टेस्ट में, पॉलिमर पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट (polymer polyethylene terephthalate-PET) से बने उत्पादों को एंजाइम एक सप्ताह में ही तोड़ देता है. कुछ को टूटने में केवल 24 घंटे का समय लगा. ये वे उत्पाद थे जिन्हें प्राकृतिक परिस्थितियों में सही से नष्ट होने में सदियां लग सकती हैं.
टीम ने इस एंजाइम को FAST-PETase (कार्यात्मक, सक्रिय, स्थिर और सहनशील PETase) कहा है. उन्होंने एक प्राकृतिक PETase से एंजाइम विकसित किया है, जिसका बैक्टीरिया PET प्लास्टिक को नष्ट कर देता है. साथ ही, इसे मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके पांच म्यूटेशन को पिन पॉइंट करने के लिए मॉडिफाई करता है, जिससे यह अलग-अलग पर्यावरणीय परिस्थितियों में प्लास्टिक को तेजी से नष्ट करता है. एंजाइम जब प्लास्टिक को खत्म कर देता है, तो उससे बचे हुए पदार्थों को फिर से प्रोसेस करके दोबारा प्लास्टिक बनाया जा सकता है. दुनिया में PET का बहुत इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह वैश्विक कचरे का लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा है. अगर आपको यह आंकड़ा डरावना नहीं लगता, तो जान लीजिए कि विश्व स्तर पर, प्लास्टिक का 10 प्रतिशत से भी कम हिस्सा ही रिसाइकल हो पाया है.
इस मामले में FAST-PETase की शुरूआत कुछ हद तक मदद कर सकती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह सस्ता और पोर्टेबल है. साथ ही, जिस तरह के औद्योगिक स्तर की ज़रूरत होगी, उस आधार पर इसे बढ़ाना बहुत मुश्किल नहीं होगा.अभी, प्लास्टिक को नष्ट करने का सबसे आम तरीका है इसे फेंक देना, जहां यह बहुत धीमी गति से सड़ता है, या फिर इले जला दिया जाता है. इसमें बहुत खर्च होता है, बहुत सारी ऊर्जा लगती है. इससे वातावरण में हानिकारक गैस पैदा होती है. यह साफ है कि प्लास्टिक कचरे को खत्म करने के लिए वैकल्पिक रणनीतियों की सख्त जरूरत है. यह अविष्कार उनमें से एक हो सकता है.