लाखों पर्यटकों के लिए गड्ढों में सड़कें, हल्दीघाटी में 5 किलोमीटर का डेंजर जोन
राजसमंद। राजसमंद विश्व विरासत कुंभलगढ़ को देखने प्रतिवर्ष लगभग ढाई लाख देसी-विदेशी सैलानी पहुंचते हैं, लेकिन यहां तक आने के लिए जयपुर, जोधपुर और उदयपुर की दिशा में कोई सुगम मार्ग नहीं है। वर्ष 2013 में स्वीकृत चारभुजा-भटेवर मेगा हाइवे-162 ई. एक दशक से सरकारी प्रक्रिया में उलझा हुआ ही है। चारभुजा-उदयपुर रोड पर लोसिंग तक मार्ग नेशनल हाईवे के अधीन जाने से सार्वजनिक निर्माण विभाग भी अब इसकी मरम्मत करने को तैयार नहीं है। ओलादर चौराहा से रिछेड़ और बरवाड़ा से लोसिंग तक सडक़ की दशा खराब हो चुकी है। दोनों ओर की पटरियां आधे से लेकर 2-2 फीट तक खाली हो चुकी हैं। सडक़ पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। कई जगह छोटी-छोटी पुलिया बीच सडक़ में से फीट के गहरे गड्ढे हैं। कहीं-कहीं सडक़ का नामो-निशान तक मिट चुका है। खमनोर हल्दीघाटी देखने आने वाले लाखों पर्यटकों के लिए ओडन से खमनोर तक 16 किमी सड़क की हालत बहुत खराब हो चुकी है। वहीं खमनोर से बलीचा तक 5 से 7 किलोमीटर का क्षेत्र बेहद खतरनाक और दुर्घटना संभावित बन गया है।
पिछले दशक में सर्वे के उपरांत ये सड़क राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग के नियंत्रण से निकलकर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधीन चली गई। उसके बाद उचित देखरेख नहीं होने से नाथद्वारा के धार्मिक पर्यटन को हल्दीघाटी और फिर कुंभलगढ़ तक के ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाली इस मुख्य सड़क की दशा नहीं सुधर पाई है। कई सालों से प्रस्तावित और प्रक्रियाधीन भटेवर से मावली, ओडन, हल्दीघाटी, लोसिंग, केलवाड़ा, चारभुजा होते हुए देसूरी की नाल तक की सड़क का हाल ही में नाथद्वारा में आयोजित कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने औपचारिक शिलान्यास किया था। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 162-ई का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। ओडन से हल्दीघाटी का सड़क मार्ग बहुत खस्ता हालत में पहुंच गया है। सड़क टूट-बिखरकर तार-तार हो गई है। सड़क पर कई फीट गहरे गढ्ढे पड़ गए हैं। रास्ते की छोटी-मोटी पुलियाओं के टूटने का खतरा पैदा हो गया है। इस सड़क पर सिर्फ पर्यटकों और दर्शनार्थियों को ही नहीं, ब्लॉक के दर्जनों गांवों के रोड नेटवर्क से इस रूट पर आने-जाने वाले स्थानीय लोगों को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। लोग आए दिन होने वाले हादसों की पीड़ा भी झेल रहे हैं।