Ram Mandir: 23 जनवरी से सभी के लिए खुलेगा राम मंदिर, प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12:20 बजे होगी प्रारंभ

अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अयोध्या में मंदिर निर्माण कार्यशाला में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को दोपहर 12.20 से एक बजे तक प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने कहा, …

Update: 2024-01-15 05:09 GMT

अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अयोध्या में मंदिर निर्माण कार्यशाला में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को दोपहर 12.20 से एक बजे तक प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने कहा, "प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12:20 बजे प्रारंभ होगी और 1 बजे तक पूरी हो जाएगी, यह अनुमान है. इसके बाद सभी महानुभाव, प्रधानमंत्री, डॉ. मोहन भागवत और मुख्यमंत्री अपने मनोभाव प्रकट करेंगे."

चंपत राय ने कहा, "23 जनवरी की सुबह से सभी के लिए राम मंदिर खुला है, मतलब जो भी आएंगे वे भगवान राम के दर्शन कर सकते हैं."

राम मंदिर ट्रस्ट के चंपत राय ने बताया कि रामलला को 18 जनवरी को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा. मूर्ति का वजन 120 से 200 किलो तक होंगी. खड़ी प्रतिमा 5 वर्ष के बालक का स्वरुप की होगी. मसलन, 18 जनवरी को प्रतिमा आसन पर खड़ी कर जाएगी.

प्रतिमा को अलग-अलग अधिवास कराया जाऐगा. उन्होंने बताया कि प्रतिमा को जलवास, अन्नवास, शायया वास और औसाधीवास् कराया जाएगा. मंदिर ट्रस्ट के चंपत राय ने बताया कि 150 से अधिक परंपराओ के संत, जितनी प्रकार की विधाये हैं सभी के लोग मौजूद होंगे. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल, नृत्य गोपाल दास, सभी ट्रस्टी भी मौजूद रहेंगे.

चंपत राय के मुताबिक, प्राण प्रतिष्ठा भगवान राम के बाल स्वरूम की होगी, जिसमें भगवान राम पांच साल के बालक के रूप में नजर आएंगे. उन्होंने बताया कि मंदिर के अनुष्ठान में 121 आचार्य शामिल होंगे. गर्भगृह में प्रधानमंत्री मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सीएम योगी आदित्यनाथ और महंत समेत सभी ट्रस्टी भी मौजूद होंगे. इनके अलावा 50 से ज्यादा आदिवासी, जनजाति परंपराओं की भी मौजूदगी होगी.

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