रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत रक्षा उपकरणों (हार्डवेयर) के आयात पर निर्भर नहीं रह सकता है और उसे रहना भी नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार भविष्य की किसी भी सुरक्षा चुनौती से निपटने के लिये तैयार रहने के वास्ते रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि 'आत्म निर्भरता' का अर्थ दुनिया से अलग-थलग रहना नहीं है, बल्कि आधुनिक सेना के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित करना है।
रक्षा मंत्री दुनिया भर में भारतीय मिशन में तैनात रक्षा अताशे (देश के राजनयिक प्रतिनिधियों के साथ काम करने वाले विशेषज्ञ) की एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस बैठक में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने भी हिस्सा लिया। सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारत और मित्र देशों के बीच परस्पर रक्षा सहयोग में रक्षा अताशे सेतु का काम करते हैं। उन्होंने बैठक में शामिल लोगों से कहा कि वे अपनी तैनाती वाले देशों में भारत के रक्षा उद्योग की क्षमताओं का प्रचार-प्रसार भी करें।
रक्षा अताशे के कामकाज की तारीफ करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि देश की विदेश नीति के अनुरूप काम करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने में वे महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। रक्षा मंत्री ने बैठक में शामित रक्षा अताशे से कहा कि वे रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के सरकार के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते वैश्विक सुरक्षा के परिदृश्य में वैश्विक मंच पर भारत को मजबूत और सम्मानित बनाने का यही एक तरीका है। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, '' भारत के आयात पर निर्भर नहीं रहने पर जोर देते हुए सिंह ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहरायी, ताकि भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटा जा सके।''
उन्होंने रक्षा अताशे को रक्षा क्षेत्र में 'आत्मनिर्भरता' का अग्रदूत बताया। सिंह ने कहा, ''भारत विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाले और सस्ते हथियारों, उपकरणों और प्लेटफॉर्म का निर्माण कर रहा है, जिसे दुनिया भर में मान्यता मिल रही है। हमारे रक्षा उत्पाद गुणवत्ता के दृष्टिकोण से ना सिर्फ विश्वस्तरीय और विश्वसनीय हैं, बल्कि अपेक्षाकृत सस्ते भी हैं।''