नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 30 जून 2022 की शाम 6:02 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV-C53/DS-EO मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. ये लॉन्चिंग दूसरे लॉन्च पैड से की गई. इस मिशन का काउंटडाउन 24 घंटे पहले 29 जून की शाम पांच बजे से शुरु हो गई थी. यह न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का दूसरा कॉमर्शियल लॉन्च है. इससे पहले 14 फरवरी 2022 को इसरो ने श्रीहरिकोटा से PSLV-C52/EOS-4 मिशन लॉन्च किया था.
दूसरे लॉन्च पैड से PSLV रॉकेट की यह 16वीं उड़ान थी. इस रॉकेट के साथ बेंगलुरु स्थित दिगांतारा रोबस्ट इंजीनियरिंग प्रोटोन फ्लूएंस मीटर (ROBI) प्रोटोन डोसीमीर पेलोड और ध्रुव स्पेस सैटेलाइट ऑर्बिटल डेप्लॉयर (DSOD 1U) भेजा गया है. दोनों स्टार्टअप कंपनियों के सैटेलाइट्स हैं. 44.4 मीटर ऊंचे PSLV-C53 रॉकेट में इन दोनों के अलावा तीन और सैटेलाइट्स होंगे. ये रॉकेट सैटेलाइट्स को धरती की भूमध्यरेखा (Equator Line) से 570 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में तैनात करेगा.
इसमें जो तीन मुख्य सैटेलाइट्स भेजे गए हैं. उनमें DS-EO सैटेलाइट और NeuSAR सैटेलाइट्स दोनों ही सिंगापुर (Singapore) के हैं. NeuSAR सिंगापुर का पहला कॉमर्शियल सैटेलाइट है, जिसमें SAR पेलोड लगा है. ये दिन और रात में किसी भी मौसम में तस्वीरें लेने में सक्षम है. DS-EO सैटेलाइट 365 किलोग्राम का है. जबकि NeuSAR सैटेलाइट 155 किलोग्राम का है. तीसरे सैटेलाइट का नाम है Scoob-1. करीब 2.8 किलोग्राम वजनी इस सैटेलाइट को सिंगापुर की नैनयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी ने बनाया है.
DS-EO सैटेलाइट आपदा राहत में मदद करेगा. Scoob-1 सिंगापुर के छात्रों द्वारा बनाया गया पहला स्टूडेंट सैटेलाइट है. इसके अलावा PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (POEM) एक्टिविटी को पृथ्वी की कक्षा में पूरा किया जाएगा. यानी चौथे स्टेज PS4 को ऑर्बिटल प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा. PS4 में लगे सोलर पैनल्स से उसे ऊर्जा मिलेगी. ये काम वो अपने ऊपर लगे चार सन सेंसर्स से करेगा. इसके अलावा इसमें मैग्नेटोमीटर, गाइरो और NavIC सिस्टम भी तैनात है. POEM में छह पेलोड्स है, जिसमें से दो भारतीय स्टार्टअप कंपनियों के टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर हैं.
1993 से अब तक 54 पीएसएलवी रॉकेट लॉन्च किए गए हैं. यह 55वां लॉन्च था. अब तक सिर्फ दो रॉकेट ही फेल हुए हैं. 1993 का पहला पीएसएलवी-जी और उसके बाद 2017 में पीएसएलवी-एक्सएल. PSLV रॉकेट इसरो का सबसे भरोसेमंद रॉकेट माना जाता है. ये वही रॉकेट है जिसने इसरो के मंगलयान (Mars Orbiter Mission - MOM) को मंगल और चंद्रयान-1 (Chandrayaan-1) को चांद तक भेजा था.