पीएम मोदी ने किया कर्तव्यपथ का उद्घाटन, कांग्रेस विधायक ने कहा- स्वागत योग्य निर्णय...जानें पूरी बात
नई दिल्ली: राजपथ का नाम कर्तव्यपथ करने पर कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार पर सवाल खड़े कर रही है। इसी बीच हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस के ही एक विधायक ने भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। हालांकि, उनके बयान पर अभी तक किसी अन्य कांग्रेस नेता की प्रतिक्रिया नहीं आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को सेंट्रल विस्टा का उद्घाटन किया।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे 'कर्तव्यपथ' नामकरण से खासे खुश नजर आ रहे हैं। उन्होंने फेसबुक पोस्ट किया, 'राजपथ का पुन: नामकरण कर कर्तव्य पथ करना स्वागत योग्य निर्णय हैं।' उन्होंने लिखा, 'अंग्रेजों का राज चला गया। उनका उनका हर इमारत पर नाम भी बदला जाना चाहिए।' बुधवार को हुई NDMC की बैठक में राजपथ का नाम बदलने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई थी।
गुरुवार को पीएम मोदी की तरफ से उद्घाटन किए जाने के बाद विपक्षी नेताओं ने निमंत्रण के मुद्दे पर सरकार को घेरा। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'विपक्ष को बुलाने की बात छोड़िए... हम उनसे बुलाने की उम्मीद नहीं करते... लेकिन उन्होंने किस चीज का उद्घाटन किया है? यह एक पुरानी सड़क है। उन्होंने इसका विस्तार किया और सौंदर्यीकरण किया। यह नई जमीन का अधिग्रहण या विस्तार की हुई सड़क नहीं है।'
उन्होंने आगे कहा, 'फुटपाथ का दोबारा काम करना और कुछ सौंदर्यीकरण करना... नया नाम देना और प्रधानमंत्री का खुद इसका उद्घाटन करना... मुझे समझ नहीं आता कि इसकी क्या जरूरत थी।' पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने भी कहा था, 'वैसे राजपथ का नाम बदलना ही था तो 'राजधर्म' पथ कर देते। अटल जी की आत्मा को अवश्य शांति मिलती।'
खबर है कि गुरुवार शाम जब पीएम मोदी ने कर्तव्यपथ का उद्घाटन किया, तो कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों का कोई बड़ा नेता नजर नहीं आया। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह अभी तक साफ नहीं है कि कांग्रेस नेताओं को कार्यक्रम में बुलाया गया था या नहीं।
हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके पार्टी के पूर्व प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भी इसे अच्छा कदम बताया है। उन्होंने मंगलवार को ट्वीट किया, 'राजपथ से कर्तव्यपथ नाम बदलने का अच्छा फैसला। यह याद दिलाता है कि जन सेवा का मूल सार शासन का अधिकार नहीं, बल्कि सेवा का कर्तव्य है।'