पैरेंट्स बच्चों को नहीं भेज रहे स्कूल, अस्थायी मुर्दाघर बनाए जाने से डरे
पढ़े पूरी खबर
ओडिशा। बालासोर के बहनागा में 2 जून को हुई भयावह रेल दुर्घटना में कम से कम 288 लोग काल के ग्रास में समा गए। शवों को प्रशासन की टीम ने हादसे के पास एक स्कूल में रखा था। स्कूल को अस्थायी मुर्दाघर बनाया था। जहां प्रियजनों ने शवों की शिनाख्त की और अंतिम संस्कार के लिए अपने साथ ले गए। अब इस सरकारी स्कूल से सभी शवों को तो निकाला जा चुका है लेकिन, कोई भी छात्र स्कूल में पढ़ने के लिए आने को तैयार नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स हैं कि मां-बाप को अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डर लग रहा है। पैरेंट्स के मन में इमारत के भूतहा होने का डर है। वे प्रशासन की टीम से स्कूल की बिल्डिंग गिराने की मांग कर रहे हैं।
ओडिशा के बहनागा में अस्थायी मुर्दाघर बनाए सरकारी स्कूल को ध्वस्त करने की तैयारी की जा रही है क्योंकि कई छात्रों और शिक्षकों ने स्कूल आने से इनकार कर दिया है। 16 जून को गर्मी की छुट्टी खत्म होने के बाद स्कूल फिर से खुलेगा लेकिन, प्रबंधन के सामने दिक्कत यह है कि छात्रों के मां-बाप और शिक्षक स्कूल आने से डर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, हादसे वाली जगह से स्कूल की दूरी बमुश्किल 500 मीटर है। प्रबंधन समिति ने गुरुवार को बताया कि बालासोर रेल हादसे के बाद 250 शवों को स्कूल के परिसर में रखा गया था। स्कूल को अस्थायी मुर्दाघर बनाया गया था। जिन शवों को स्कूल में रखा गया था, उनमें से ज्यादातर विकृत अवस्था में थे। ऐसे में छात्र और कई शिक्षक स्कूल लौटने से कतरा रहे हैं। हालांकि समिति का कहना है कि शवों को हटाने के बाद स्कूल की अच्छी से सफाई कर दी गई है लेकिन, छात्रों और शिक्षकों के मन में उस भयावह दृश्य की अमिट छाप अभी भी बनी हुई है। पैरेंट्स के मन में इमारत के भूतहा होने का डर है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या इमारत को गिराया जाएगा और उसकी जगह नई बिल्डिंग खड़ी की जाएगी। बालासोर के कलेक्टर दत्तात्रेय भाऊसाहेब शिंदे ने स्कूल का दौरा किया और लोगों से भय और अंधविश्वास न फैलाने की अपील की। सुझाव दिया कि इसके बजाय युवा, प्रभावशाली दिमागों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने का प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "यह 65 वर्षीय स्कूल पिछले कुछ वर्षों में बदल गया है। परिसर में एक विज्ञान प्रयोगशाला है जो अंधविश्वास नहीं, बल्कि नई सोच का रास्ता दिखाता है। हालांकि, हम इस बारे में सोच-समझकर निर्णय लेंगे कि स्कूल की इमारत को गिराना है या नहीं।"