नई दिल्ली(आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासी समाज के कल्याण को अपने लिए व्यक्तिगत रिश्तों और भावनाओं का विषय बताते हुए कहा है कि जो पहले खुद को दूर-सुदूर समझता था अब सरकार उसके द्वार जा रही है, उसको मुख्यधारा में ला रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में 'आदि महोत्सव' का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि 21वीं सदी का भारत, सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर चल रहा है। आदिवासी समाज को लेकर आज देश जिस गौरव के साथ आगे बढ़ रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि बीते 8-9 वर्षों में आदिवासी समाज की यात्रा इस बदलाव की साक्षी रही है कि, देश, कैसे समानता और समरसता को प्राथमिकता दे रहा है।
'आदि महोत्सव' का महत्व बताते हुए प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि, पिछले 8-9 वर्षों में 'आदि महोत्सव' जैसे आयोजन देश के लिए एक आंदोलन बन गए हैं। मैं भी कई आयोजनों में भाग लेता हूं; मैं ऐसा इसलिए करता हूं क्योंकि आदिवासी समाज का कल्याण मेरे लिए व्यक्तिगत भी है और भावनात्मक भी। मैंने देश के कोने कोने में आदिवासी समाज और परिवार के साथ अनेक सप्ताह बिताए हैं। मैंने आपकी परंपराओं को करीब से देखा भी है, उनसे सीखा भी है और उनको जिया भी है। आदिवासियों की जीवनशैली ने मुझे देश की विरासत और परंपराओं के बारे में बहुत कुछ सिखाया है। आपके बीच आकर मुझमें अपनों से जुड़ने का भाव आता है।
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वामिर्ंग जैसी चुनौतियों के समाधान में आदिवासी परम्पराओं को सहायक बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, आज वैश्विक मंचों से भारत आदिवासी परंपरा को अपनी विरासत और गौरव के रूप में प्रस्तुत करता है। आज भारत विश्व को बताता है कि अगर आपको जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वामिर्ंग जैसी चुनौतियों का समाधान चाहिए तो हमारे आदिवासियों की जीवन परंपरा देख लीजिए, आपको रास्ता मिल जाएगा। हम कैसे प्रकृति से संसाधन लेकर भी उसका संरक्षण कर सकते हैं इसकी प्रेरणा हमें हमारे आदिवासी समाज से मिलती है।
प्रधानमंत्री ने देश में पहली बार भगवान बिरसा मुंडा की जन्मजयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने की शुरूआत करने का जिक्र करते हुए कहा कि 21वीं सदी का नया भारत 'सबका साथ सबका विकास' के दर्शन पर काम कर रहा है। सरकार उन लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है, जिनसे लंबे समय से संपर्क नहीं हो पाया है।
प्रधानमंत्री ने एनडीए सरकार द्वारा आदिवासियों के हित में उठाए गए अनगिनत कामों का जिक्र करते हुए कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्च र बनाया जा रहा है। देश के हजारों गांव जो पहले वामपंथी उग्रवाद से ग्रसित थे उन्हें 4जी कनेक्टिविटी से जोड़ा जा रहा है। यहां के युवा अब इंटरनेट और इंफ्ऱा के जरिए मुख्यधारा से कनेक्ट हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 के बीच (यूपीए सरकार के दौरान) केवल 90 'एकलव्य स्कूल' खुले थे जबकि उनकी सरकार ने 2014 से 2022 तक 500 से ज्यादा 'एकलव्य स्कूल' स्वीकृत किए हैं जिनमें से 400 से ज्यादा स्कूलों में पढ़ाई शुरू भी हो चुकी है और एक लाख से ज्यादा जनजातीय छात्र इन स्कूलों में पढ़ाई भी करने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार का जोर जनजातीय आर्ट्स को प्रमोट करने, जनजातीय युवाओं के स्किल को बढ़ाने पर भी है। देश में नए जनजातीय शोध संस्थान खोले जा रहे हैं। पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना इस वर्ष के बजट में शुरू की गई है जो वित्तीय सहायता, कौशल प्रशिक्षण और विपणन सहायता प्रदान करेगी। यह आदिवासी समुदायों के लिए रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगा। आदिवासी युवाओं को भाषा की बाधा के कारण बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता था लेकिन अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प भी खोल दिया गया है। अब हमारे आदिवासी बच्चे, आदिवासी युवा अपनी भाषा में पढ़ सकेंगे, आगे बढ़ सकेंगे।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत के जनजातीय समाज द्वारा बनाए जाने वाले उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है और ये विदेशों में निर्यात किए जा रहे हैं। ट्राइबल प्रोडक्ट्स ज्यादा से ज्यादा बाजार तक आयें, इनकी पहचान बढ़े, इनकी डिमांड बढ़े, सरकार इस दिशा में भी लगातार काम कर रही है। देश के अलग-अलग राज्यों में तीन हजार से अधिक 'वन धन विकास केंद्र' स्थापित किए गए हैं। आज करीब 90 लघु वन उत्पादों पर सरकार एमएसपी दे रही है। 80 लाख से ज्यादा सेल्फ हेल्फ ग्रुप आज अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे हैं जिसमें सवा करोड़ से ज्यादा सदस्य जनजातीय हैं और इनमें भी बड़ी संख्या माताओं-बहनों की है।
वंचितों को वरीयता देने की अपनी सरकार की नीति का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश जब आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति को अपनी प्राथमिकता देता है, तो प्रगति के रास्ते अपने आप खुल जाते हैं। उनकी सरकार में 'वंचितों को वरीयता' के मंत्र को लेकर, देश विकास के नए आयाम को छू रहा है।