जिला ऊना में दस फीसदी से ज्यादा फसल हो जाएगी खराब
ऊना। सूखे के कारण जिला ऊना के गैर सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की फसल पर संकट छा गया है। अगर एक सप्ताह के भीतर बादल नहीं बरसते हैं तो जिला ऊना में पांच से दस प्रतिशत गेहंू की फसल खत्म हो सकती है। जिला में सूखे की समस्या को लेकर कृषि विभाग भी अलर्ट हो …
ऊना। सूखे के कारण जिला ऊना के गैर सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की फसल पर संकट छा गया है। अगर एक सप्ताह के भीतर बादल नहीं बरसते हैं तो जिला ऊना में पांच से दस प्रतिशत गेहंू की फसल खत्म हो सकती है। जिला में सूखे की समस्या को लेकर कृषि विभाग भी अलर्ट हो गया है और जिला कृषि उपनिदेशक डा. कुलभूषण विभाग ने सभी कृषि खंड अधिकारियों को फील्ड की विजिट रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। ऊना में गेहूं की फसल स्थानीय किसानों की वर्ष भर की आजीविका का साधन होती है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिला ऊना में 35,514 हेक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल की बिजाई की जाती है। जहां से हर वर्ष किसान 80,000 मीट्रिक टन गेहूं की फसल की पैदावार करते हैं। ऊना में तीन मुख्य फसलें है, इसमें गेहूं, मक्की व आलू शामिल है।
इनमें से सबसे ज्यादा किसान गेहूं की फसल की पैदावार करते हैं। यह फसल सिंचित व गैर सिंचित क्षेत्रों दोनों में होती है। ऊना के कुल भौगोलिक क्षेत्र के एक चौथाई हिस्से पर खेती की जाती है। जिला में शुद्ध बिजाई के तहत करीब 42 हजार हेक्टेयर क्षेत्र आता है, जबकि 18165 हेक्टेयर वन, 22763 हेक्टेयर बंजर व बिना खेती के क्षेत्र तथा 13427 हेक्टेयर घासनी व चरागाहे आती है। जिला के 65970 परिवारों में से 70 प्रतिशत से अधिक कृषि पर निर्भर करते है। हर साल 30783 हेक्टेयर में मक्की की खेती, 1871 हेक्टेयर में धान, 35514 हेक्टेयर में गेहूं, 741 हेक्टेयर में दाले, 1270 हेक्टेयर में तिलहन फसलें, 420 हेक्टेयर में सब्जियां तथा 137 हेक्टेयर में गन्ने तथा 945 हेक्टेयर में आलू का उत्पादन किया जाता है। जिला में सूखे को लेकर कृषि विभाग ने जिला ऊना के सभी खंड अधिकारियों व व कर्मचारियों के साथ बैठक आयोजित की थी। जिला में सूखे को लेकर चर्चा की गई।
वहीं, मौसम विशेषज्ञ विनोद कुमार शर्मा ने कहा कि जिला ऊना में अभी तक बारिश होने के कोई भी आसार नहीं है। हालांकि जिला ऊना में धुंध व कोहरे के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है । विभागीय रिपोर्ट के अनुसार जिला ऊना में अभी तक पीला रतुआ बीमारी का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। विभाग के अनुसार पीला रतुआ उस समय पैदा होता है या फैलता है, जब जमीन में नमी और तापमान एक सामान हो। परंतु जिला में अभी तक बारिश न होने से खेतों में गेहंू की फसल सूख रही है। कृषि विभाग के अनुसार गैर सिंचित क्षेत्रों में जहां सूखा गेहूं की फसल को ज्यादा मार कर रहा है तो मैदान इलाकों में कोहरे के कारण भी फसल को क्षति पहुंच रही है। जिससे पौधों के नीचे की पत्तियों कोहरे की मार के कारण सूख रही है। इससे भी किसानों को गेहूं की फसल से बनने से पशु चारे(तूड़ी)में घाटा सहना पड़ सकता है।