विधायक मालिनी गौड़ किसी को नहीं देंगी अपनी अयोध्या
जानिए क्या है पूरा मामला
इंदौर। विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही सभी दावेदार तेजी से सक्रिय होने लगे हैं। लेकिन इंदौर विधानसभा चार से विधायक मालिनी गौड़ की सक्रियता ने सभी को चौंका दिया है। गौड़ लंबे समय से स्वास्थ्य कारणों से घर पर ही थी और लोगों से मिलना-जुलना भी कम था, लेकिन अब दो महीने में वह एकाएक तेजी से सक्रिय हुई है। उस सक्रियता ने इस विधानसभा पर नजरे गढ़ाए बैठे दावेदारों को बैचेन कर दिया है। बड़े-बड़े कार्यक्रमों से भी दूर रहने वाली गौड़ अब शुक्रवार ( 21 अप्रैल) को नए संभागीय संगठन प्रभारी राघवेंद्र गौतम के इंदौर पहुंचने पर पार्टी कार्यालय भी पहुंची और उनके साथ काफी देर तक चर्चा की। उन्होंने साफ संदेश दे दिया है कि मैं अपनी अयोध्या किसी और को नहीं दूंगी।
बीते दो माह में एक बार फिर जगह-जगह पर मालिनी गौड़ दिखने लगी है। गौतम से स्वागत के लिए पहुंची गौड़ इसके पहले हाल ही में जब संघ और संगठन के बीच बैठक के लिए कई पदाधिकारी इंदौर आए थे, तब इनके साथ देर रात को सराफा में भी बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजवर्गीय व अन्य नेताओं के साथ साथ रही। पार्टी नेताओं, संघ के पदाधिकारियों की जहां मौजूदगी होती है, वहां पर मालिनी गौड़ की उपस्थिति अब दिख जाती है। 6 माह बाद संगठन और संघ ही तय करेंगे कि किसे टिकट मिलना चाहिए। ऐसे में गौड़ का लगातार सामने आना बता रहा है कि वह अपनी अयोध्या किसी को नहीं देने जा रही है।
1993 से विधानसभा चार से उनके पति लक्ष्मणसिंह गौड़ पहली बार विधायक बने। इसके बाद 1998 और 2003 में भी वह जीते, उनके निधन के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान के कारण मालिनी गौड़ को सीट दी गई। 2008, 2013 और 2018 से वह लगातार यहां से भारी मतों से जीत रही है। वह महापौर भी रह चुकी है। लेकिन महापौर पद से हटने के बाद से ही वह स्वास्थ कारणों से पीछे हट गई और उनके बेटे एकलव्य गौड़ ने राजनीतिक बागड़ौर संभालना शुरू कर दिया, वह बीजेपी में नगर उपाध्यक्ष भी है। लेकिन उनके एक के बाद एक लगातार विवाद आने शुरू हो गए। बीते कुछ माह में उन पर विरोधियों ने लगातार हमले कर शिकायतें की है। इन शिकायतों के चलते और वैसे भी पार्टी के परिवाद से दूरी बनाए रखने के मुद्दे को देखते हुए यह तय हो गया कि एकलव्य को पार्टी यहां से टिकट नहीं देगी। ऐसे में गौड़ परिवार की विरासत खतरे में आ गई है। इसके चलते वह एक बार फिर मैदान में उतर गई है। ताकि दावेदारों को उनके नहीं दिखने के चलते निष्क्रिय विधायक बोलकर हटाने का मौका नहीं मिले।
यह सीट बीजेपी के लिए एकदम पक्की सीट मानी जाती है। ऐसे में हर दावेदार यहां से टिकट चाहता है, ताकि कम से कम मेहनत में जीत हासिल हो जाए। मालिनी के फिर से सक्रिय होने के चलते यहां से दावेदारी की तैयारी में जुटे सांसद शंकर लालवानी में सबसे ज्यादा बैचेनी है। लंबे समय से उनकी नजरें यहां पर टिकी है, क्योंकि यह सिंधी बाहुल्य क्षेत्र भी है। वहीं चौंकाने वाला नाम यह भी है कि यहां से विधानसभा एक से चुनाव हारे सुदर्शन गुप्ता भी गुपुचप अपनी दावेदारी रख रहे हैं। इसकी वजह खुद को इसी विधानसभा का पुराना निवासी बता रहे हैं। वहीं महापौर और विधायक वाले पुराने कांसेप्ट (कैलाश विजयवर्गीय और मालिनी गौड़) पर चलें तो फिर इसी विधानसभा में रहने वाले महापौर पुष्यमित्र भार्गव की दावेदारी भी आती है। उधर बीजेपी की ही मानी जा रही सीट को लेकर संघ और संगठन किसी नए चेहरे को कहीं से भी लाकर उपकृत कर सकता है।