Vice Chancellor नियुक्ति पर झूठ बोल रहे मंत्री

Update: 2024-06-28 10:01 GMT
Shimla. शिमला। हिमाचल सरकार और राजभवन के बीच का तनाव अब सार्वजनिक हो गया है। एक अप्रत्याशित घटना के तहत गुरुवार को राजभवन ने प्रेस वार्ता बुलाई, जिसमें राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला और कृषि विवि पालमपुर में कुलपति की नियुक्तियों को लेकर राज्य सरकार और कृषि मंत्री चंद्र कुमार के बयानों को लेकर स्थिति साफ की। राज्यपाल ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में कुलपति की नियुक्ति को लेकर कृषि मंत्री चंद्र कुमार गलत बोल रहे हैं। वह कह रहे हैं कि कुलपति की नियुक्ति राजभवन ने रोक रखी है, जबकि फाइल उनके पास पेंडिंग है। गवर्नर ने कहा कि राज्य सरकार ने एक बिल पारित कर भेजा था, जिसमें कहा था किकुलपति की नियुक्ति राज्य सरकार की सहमति से होगी। इससे पहले इसके लिए इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन और राजभवन से नामित व्यक्तियों की
सर्च कमेटी फैसला लेती थी।
जो नया फॉर्मेट राज्य सरकार ने बिल के माध्यम से भेजा है, उस पर स्पष्टीकरण राजभवन ने मांगा है और यह राज्य सरकार से अभी वापस नहीं आया है। कृषि मंत्री ने जब एक बार यह बात कही तो स्पष्टीकरण के तौर पर राजभवन के सचिव ने इसका खंडन भी किया था, लेकिन उसके बावजूद मंत्री बार-बार यह बात कह रहे हैं। इसलिए उन्हें मजबूरी में मीडिया के सामने आना पड़ा। कृषि विश्वविद्यालय के लिए सर्च कमेटी की प्रक्रिया राजभवन ने शुरू कर दी थी, लेकिन मामला कोर्ट में जाने के कारण यह रुक गई। दूसरी तरफ, प्रदेश विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति का मामला भी राज्य सरकार के स्तर पर पेंडिंग है। सरकार के सुझाव पर ही उन्होंने मुख्य सचिव को सर्च कमेटी का अध्यक्ष बनाया, लेकिन अब कोई पैनल राजभवन को चयनित कर नहीं दिया जा रहा है। राज्यपाल ने कहा कि योग दिवस पर राज्य सरकार की तरफ से हुई लापरवाही का उन्होंने संज्ञान लिया है। योग देश का गौरव है, जिसे यूएन ने भी मान्यता दी है।
लोकतंत्र प्रहरी सम्मान अधिनियम को खत्म करने के बिल पर राज्यपाल ने कहा कि इस बारे में राज्य सरकार से पूछा गया है कि हाई कोर्ट से आए आदेश को लागू किया गया या नहीं? अभी जवाब राजभवन को नहीं मिला है। उसके बाद ही इस बारे में फैसला होगा। हाई कोर्ट ने इस योजना के तहत पिछली पेंशन जारी करने के आदेश दिए हैं। फोरेस्ट राइट्स एक्ट यानी एफआरए से संबंधित मामला लंबित होने के सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि वह किन्नौर जिला में नौतोड़ देने के पक्षधर हैं, लेकिन इसमें वाइब्रेंट विलेज के नियमों के अनुसार ही काम होगा। सरकार से उन्होंने इस बारे में पूछा था कि आवेदक कितने हैं और कौन हैं? यह जानकारी देने में देरी की गई। कांग्रेस सरकार के छह मुख्य संसदीय सचिवों और भाजपा के नौ विधायकों को लेकर हाई कोर्ट और स्पीकर के पास चल रहे मामलों पर गवर्नर ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष एक संवैधानिक पद है और इस पद पर वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि गरिमा सिर्फ पद की नहीं, संस्था की भी होती है, इसलिए वह राजभवन की मर्यादा से बाहर नहीं जाएंगे। गवर्नर ने छह विधायक डिसक्वालीफाई करने के मामले में भी हस्तक्षेप नहीं किया था।
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