चिकित्सा अधिकारी और सीएमएचओ पर अवैध पैसा वसूली का आरोप, केस दर्ज
जांच में जुटी पुलिस
दौसा। दौसा 8 फरवरी 2021 को सीएचसी पापड़दा में एक महिला की नसबंदी हुई थी, जो वहां के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने की थी। 6 महीने बाद अप्रैल 2022 में जब महिला को मासिक धर्म नहीं आया और पेट में दर्द हुआ तो पता चला कि महिला के गर्भ में बच्चा है. जब इसकी शिकायत की गई तो सीएचसी प्रभारी ने दो टूक कहा कि इसमें हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। इसी बीच 3-22 दिसंबर को डिलीवरी हुई, जिसमें महिला ने एक लड़के को जन्म दिया. इस मामले में स्थाई लोक अदालत के पूर्णकालिक अध्यक्ष अजय कुमार शर्मा ने सीएचसी प्रभारी और सीएमएचओ पर 3 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. इसमें से 30 हजार रुपये सरकार की ओर से महिला को पहले ही दिए जा चुके हैं. ऐसे में शेष 2.70 लाख रुपये के साथ 5,000 रुपये शिकायत व्यय का भुगतान किया जाए। परिवादिया मंजू देवी (24) पत्नी हीरालाल मीना निवासी थूमड़ी नांगल राजावतान।
मंजू देवी को एक बेटी हिमांशी और एक बेटा अनीस होने के बाद दंपति ने 8 फरवरी 2021 को नसबंदी करा ली थी, ताकि उन्हें तीसरा बच्चा न हो सके. करीब 6 महीने बाद जब नसबंदी फेल हो गई तो महिला गर्भवती हो गई और फिर उसने तीसरे बच्चे के रूप में बेटे को जन्म दिया. इसके खिलाफ जब स्थायी लोक अदालत में शिकायत दर्ज करायी गयी तो इसे गलत मानने के बजाय चिकित्सा प्रभारी ने तर्क दिया कि महिला ने नसबंदी ऑपरेशन के बाद कभी मेडिकल जांच नहीं करायी और न ही मासिक धर्म के संबंध में कोई जानकारी दी गयी। साथ ही कहा कि नसबंदी फेल होने पर विभाग ने 30 हजार रुपये मुआवजा राशि तय की है, जो 22 दिसंबर 2022 को महिला को दे दी गयी है. वहीं, अधिवक्ता शिव शंकर शर्मा ने नसबंदी से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किये. महिला की ओर से. इसके साथ ही मद्रास हाई कोर्ट ने 28-23 अप्रैल को नसबंदी फेल होने पर 3 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था, उसकी कॉपी भी पेश की. दस्तावेजों और दोनों पक्षों को सुनने के बाद पूर्णकालिक अध्यक्ष अजय कुमार शर्मा और सदस्य अशोक कुमार शर्मा और सुरेश कुमार गोयल की मौजूदगी में फैसला सुनाया गया। इसमें आवेदक यानी चिकित्सा प्रभारी पापड़दा और सीएमएचओ परिवादी महिला को 2.70 लाख रुपए और परिवाद व्यय के रूप में 5 हजार रुपए देने के आदेश दिए। 2 महीने में फैसले को लागू करना होगा।