ममता बनाम सुवेंदु: भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी बने पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष

Update: 2021-05-10 08:07 GMT

कोलकाता: नंदीग्राम से भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता चुने गए.



शुभेंदु के पास ज्यादा अनुभव
विधायक के तौर पर मुकुल रॉय की तुलना में शुभेंदु अधिकारी के पास अधिक अनुभव है, लेकिन संसदीय राजनीति करने के लिए अनुभव, धैर्य और राजनीतिक ज्ञान होना आवश्यक है. मुकुल के पास पांच साल तक विधानसभा में ममता के साथ लड़ने का धैर्य है. हालांकि, ये दोनों नेता टीएमसी से बीजेपी में आए हैं, लेकिन ज्यादातर जीत कर आए विधायकों में से केवल चंद नेताओं के पास ही संसदीय राजनीति का अनुभव है.
मदारीहाट के विधायक मनोज तिग्गा भी दौड़ में शामिल हैं. मनोज बीजेपी के उन तीन विधायकों में से एक हैं जिन्होंने 2016 में जीत हासिल की थी. दिलीप घोष के विधायक पद छोड़ने के बाद वह विधानसभा में पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे. चाकदाह विधायक बंकिम घोष, जयपुर विजेता नरहरि महतो और गोगाट विधायक बिश्वनाथ कारक के पास संसदीय अनुभव है. मिहिर गोस्वामी हैं, जो कूचबिहार के नाटाबाड़ी से जीते है. ऐसे में देखते हैं कि शुभेंदु अधिकारी या मुकुल रॉय में से कोई बनता है या फिर बीजेपी अपने संघ के बैकग्राउंड वाले नेताओं में से किसी को चुनती है.
हालांकि, बीजेपी नेता विपक्ष बनने के लिए जिन दो लोगों के नामों की चर्चा है, उनमें शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय हैं. इनके साथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का रिश्ता बहुत बेहतर नहीं माना जाता है. शुक्रवार को पार्टी विधायकों के साथ दिलीप घोष ने बैठक की थी, लेकिन बैठक में शुभेंदु और मुकुल मौजूद नहीं थे. इसके भी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं और ऐसे में अब केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक बनाया है, जो विधायकों के साथ बैठक कर तय करेंगे कि नेता प्रतिपक्ष कौन बने.
मुकुल रॉय ने विधानसभा में शपथ लेने के बाद भी चुप्पी नहीं तोड़ी. बस एक संदेश दिया, इंतजार करें मैं बाद में बोलूंगा! मुकुल की इस चुप्पी से कई अटकलें लगाई जा रही हैं. सवाल उठ रहा है कि क्या मुकुल रॉय आने वाले दिनों में अपने राजनीतिक जीवन के बारे में कोई बड़ी घोषणा करने वाले हैं? मुकुल रॉय को चुनाव प्रचार में अपने क्षेत्र से बाहर नहीं देखा गया था. कृष्णानगर उत्तर सीट पर मुकुल ने तृणमूल उम्मीदवार कौशानी मुखर्जी को हराकर जीत हासिल की. ऐसे में मुकुल रॉय की खामोशी भी बीजेपी को बेचैन कर रही है. 
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