पत्नी की हत्या करने वाले दोषी को उम्रकैद

काशीपुर । चार साल पहले महिला की हत्या के मामले में द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश कुमार की अदालत ने पति को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। उस पर बीस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। शव को गन्ने के खेत में छिपाकर साक्ष्य मिटाने के प्रयास में भी पति …

Update: 2024-02-03 23:01 GMT

काशीपुर । चार साल पहले महिला की हत्या के मामले में द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश कुमार की अदालत ने पति को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। उस पर बीस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। शव को गन्ने के खेत में छिपाकर साक्ष्य मिटाने के प्रयास में भी पति और उसके भतीजे को दोषी माना गया है। दोनों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई है।

राजेंद्र सिंह की ओर से थाना जसपुर में 13 फरवरी 2020 को तहरीर दी गई थी। उनका कहना था कि 12 फरवरी 2020 को उसकी बहन जसवीर कौर का शव महुआडाबरा एलबीएस कॉलेज रोड पर गन्ने के खेत में पड़ा मिला था। उन्होंने बहन की ससुराल वालों पर हत्या का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि बहन जसवीर कौर उर्फ सिमरन कौर की शादी हरविंदर सिंह उर्फ हैप्पी निवासी ग्राम शेरगढ़, बिजनौर के साथ 2005 में हुई थी। उनके दो बच्चे हैं। शादी के बाद से ही ससुराल वाले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे। कई बार पंचायत के जरिये मामले का निस्तारण कराया गया। इसके बाद भी उत्पीड़न नहीं थमा।

जसवीर कौर के पति हरविंदर सिंह, उसके ससुर चरनजीत सिंह, सास राणो कौर, देवर हरजीत उर्फ वाऊ निवासी शेरगढ़ बिजनौर (यूपी) के खिलाफ हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया गया। विवेचना के दौरान सास की भूमिका नहीं दिखी लेकिन हरविंदर के कथित भतीजे तरनवीर सिंह की संलिप्तता भी पाई गई इसलिए हरविंदर सिंह, चरनजीत सिंह, हरजीत और तरनवीर सिंह के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया गया। सुनवाई के दौरान अदालत ने इसे हत्या करने के बाद साक्ष्य मिटाने का अपराध माना और सजा सुनाई। चरनजीत सिंह और हरजीत सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। संवाद

किसे क्या सजा मिली

पति हरविंदर सिंह: हत्या का दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। बीस हजार रुपये के अर्थदंड की भी सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास वहन करना होगा।

पति हरविंदर और भतीजे तरनवीर: साक्ष्य मिटाने का भी दोषी पाते हुए तीन-तीन साल के कारावास की सजा। पांच-पांच हजार रुपये अथदंड। अर्थदंड न देने पर एक-एक माह का अतिरिक्त कारावास की सजा।

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