नई दिल्ली | विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन पर दावा जताने वाले चीन के तथाकथित ‘मानक मानचित्र' को खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ बेतुके दावे करने से अन्य लोगों के क्षेत्र आपके नहीं हो जाते। उन्होंने कहा कि बीजिंग ने पहले भी उन क्षेत्रों पर दावा करते हुए ऐसे नक्शे जारी किए थे, जो उसके नहीं हैं और यह चीन की पुरानी आदत है। जयशंकर द्वारा विरोध करने के बाद अब इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर की प्रतिक्रिया भी सामने आई है।
थरूर ने भी माना कि चीन की यह पुरानी आदत है, जिससे वो बाज नहीं आता है। साथ ही उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि हमें ‘वन चाइना पॉलिसी’ का विरोध करना चाहिए और तिब्बत के लोगों को स्टेपल वीजा दिया जाना चाहिए। थरूर ने एस जयशंकर के बयान का समर्थन करते हुए ट्वीट किया, ‘हमने चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश को अपना क्षेत्र बताने वाले नक्शे का विरोध किया है। हां, जयशंकर सही हैं कि यह उनकी पुरानी आदत है, वो इसपर हमारे विरोध को भी नजरअंदाज कर देते हैं। क्या हमें उन्हें यहीं छोड़ देना चाहिए? क्या नाराजगी जाहिर करने के लिए हम इसपर इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं।
जयशंकर का चीन को करारा जवाब
बीजिंग ने सोमवार को ‘चीन के मानक मानचित्र' का 2023 संस्करण जारी किया, जिसमें दावा किया गया कि अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन उसकी सीमा में हैं। इस मानचित्र में दक्षिण चीन सागर को कवर करने वाली तथाकथित नाइन-डैश लाइन को भी चीन के हिस्से के रूप में दिखाया गया है जैसा कि इसके पिछले संस्करणों में दिखाया गया था। जयशंकर ने कहा, ‘‘चीन ने पहले भी ऐसे मानचित्र जारी किए हैं जिनमें उन क्षेत्रों पर दावा किया गया जो चीन के नहीं हैं, जो दूसरे देशों के हैं। यह उनकी पुरानी आदत है।'' जयशंकर ने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है। इसकी शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। इसलिए भारत के कुछ क्षेत्रों पर अपना दावा करने वाला मानचित्र पेश करने से मुझे लगता है कि इससे कुछ नहीं बदलता। ये भारत का हिस्सा हैं।