बोफोर्स तोप सौदे में दलाली के आरोपों में दर्ज मुकदमे को हुए 35 साल, अब इसलिए सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका
नई दिल्ली: बोफोर्स तोप सौदे की जांच को लेकर वर्षों से दाखिल याचिका पर जल्द सुनवाई की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई है. सुप्रीम कोर्ट में वकील और याचिकाकर्ता अजय अग्रवाल ने अपनी मूल याचिका के जरिए 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. इस मामले में बोफोर्स तोप के सौदे में 64 करोड़ रुपये की दलाली के आरोपी हिंदुजा भाइयों सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था.
याचिका में बोफोर्स तोप सौदे में दलाली के आरोपों की जांच में आने वाले खर्च को चुनौती दी गई है. दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस आरएस सोढ़ी ने अपने फैसले में जांच पर 250 यानी ढाई सौ करोड़ रुपए के खर्च की बात कही है. याचिकाकर्ता वकील अजय अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि बड़ा सवाल ये है कि अदालत को ये खर्च के तथ्य किसने मुहैया कराए? जबकि मार्च 2011 में आरटीआई के जवाब में ये बताया गया कि पूरी जांच में पांच करोड़ 41 लाख रुपए खर्च हुए थे. तो सीबीआई ने इतने सालों तक फैसले में इस तथ्यात्मक त्रुटि को सुधारने की अर्जी क्यों नहीं लगाई?
इस अर्जी में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 2 नवंबर 2018 को हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका भी यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि जांच एजेंसी अग्रवाल की ही याचिका पर सुनवाई के दौरान अपनी दलीलें रखे, क्योंकि अग्रवाल ने पहले एसएलपी लगाई है.
अब अग्रवाल ने मामले की जल्द सुनवाई के लिए अर्जी लगाई है, क्योंकि सौदे में दलाली के आरोपों में दर्ज मुकदमे को 35 साल हो चुके हैं और हाईकोर्ट के जिस फैसले को चुनौती दी गई है उसे आए हुए भी 16 साल हो गए हैं. लिहाजा अब तो जल्दी सूचीबद्ध कर इस मामले की सुनवाई सुनिश्चित हो.