शैक्षणिक जगहों में आत्महत्या की घटनाएं, पैरेंट्स चिंतित

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Update: 2023-08-19 13:05 GMT
दिल्ली। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में आवासीय स्कूलों से लेकर कॉलेजों तक व पेशेवर कॉलेजों और विश्‍वविद्यालयों से लेकर आईआईटी जैसे शैक्षणिक संस्थानों तक के छात्रावासों में छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। जहां पढ़ाई का तनाव और साथियों का दबाव बड़ी संख्या में हो रहीं आत्महत्याओं का मुख्य कारण हैं, वहीं अवसाद, रिश्ते के मुद्दे और कुछ मामलों में रैगिंग जैसे कारक भी छात्रों को आत्महत्या की ओर प्रेरित कर रहे हैं।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद (आईआईटी-एच) की 21 वर्षीय स्नातकोत्तर छात्रा को 7 अगस्त को परिसर में उसके छात्रावास के कमरे में लटका हुआ पाया गया था। ममिता नायक स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष की छात्रा थी। कुछ दिनों पहले वह हैदराबाद से लगभग 60 किमी दूर संगारेड्डी जिले के कांडी स्थित परिसर में सिविल इंजीनियरिंग में मास्टर कार्यक्रम में शामिल हुई थी।

पुलिस को उसके कमरे से एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें उसने लिखा कि उसकी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है और वह गंभीर मानसिक दबाव में थी। वह एक महीने से भी कम समय में आत्महत्या से मरने वाली दूसरी आईआईटी-एच की छात्रा थी और पिछले एक साल में चौथी। डी. कार्तिक (21) ने विशाखापत्तनम में समुद्र में डूबकर आत्महत्या कर ली थी, क्योंकि वह अपने बैकलॉग से उदास था।

बी.टेक (मैकेनिकल) द्वितीय वर्ष के छात्र कार्तिक ने 17 जुलाई को परिसर छोड़ दिया था। उसका शव 25 जुलाई को विशाखापत्तनम में समुद्र तट से बरामद किया गया। तेलंगाना के नलगोंडा जिले के मिरयालगुडा का रहने वाला छात्र परीक्षाओं में बैकलॉग क्लियर न कर पाने से परेशान था। एक साल में आईआईटी-एच के चार छात्रों की आत्महत्या से मौत हो चुकी है। पिछले साल सितंबर में राजस्थान की मूल निवासी मेघा कपूर (22) ने आईआईटी-हैदराबाद परिसर के पास संगारेड्डी शहर में एक लॉज से कूदकर जान दे दी थी। वह बी.टेक की छात्रा थी। उसके कुछ बैकलॉग थे। वह एक लॉज में रह रही थी।

पिछले साल अगस्त में आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के नंदयाल के मूल निवासी और एम.टेक द्वितीय वर्ष के छात्र जी. राहुल ने प्लेसमेंट और थीसिस के दबाव के कारण अपने छात्रावास के कमरे में फांसी लगा ली थी।

पुलिस ने उसके कमरेे से सुसाइड नोट बरामद किया, जिसमें लिखा था, ''संस्थान को छात्रों पर थीसिस पूरी करने के लिए दबाव नहीं डालना चाहिए। वह आत्महत्याओं पर और अधिक शोध करवाए और अंततः उसका शोध सफल होगा। मैंने दबाव से राहत पाने के लिए धूम्रपान और शराब का सेवन किया, लेकिन तनाव कम नहीं हो सका।" 2019 में आईआईटी-हैदराबाद में तीन आत्महत्याएं हुईं और सभी मामलों में छात्रों ने चरम कदम उठाने के लिए शैक्षणिक दबाव, साथियों के दबाव और अवसाद का हवाला दिया।

घटनाओं से चिंतित आईआईटी-एच अधिकारियों ने छात्रों को दबाव से निपटने की सलाह देने के लिए मनोविज्ञान के विशेषज्ञों के साथ एक परामर्श केंद्र खोला है। तेलंगाना के निर्मल जिले में आईआईआईटी बसर के नाम से मशहूर राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ नॉलेज टेक्नोलॉजीज (आरजीयूकेटी) नियमित रूप से छात्र आत्महत्याओं की रिपोर्ट करने वाला एक और संस्थान है।

8 अगस्त को प्री यूनिवर्सिटी कोर्स (पीयूसी) के प्रथम वर्ष के 17 वर्षीय छात्र को विश्‍वविद्यालय परिसर में छात्रावास के कमरे में लटका हुआ पाया गया था। ऐसा संदेह है कि कथित तौर पर घर की याद आने के बाद छात्र ने आत्महत्या कर ली। वह संगारेड्डी जिले का रहने वाला था, वह एक सप्ताह पहले संस्थान में दाखिला लिया था और कथित तौर पर वह अकेलापन महसूस कर रहा था। 15 जून को एक छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पीयूसी प्रथम वर्ष की वह छात्रा परिसर में छात्रावास भवन की चौथी मंजिल से कूद गई थी।

13 जून को पीयूसी प्रथम वर्ष की एक छात्रा विश्‍वविद्यालय परिसर में बाथरूम में फंदे से लटकी हुई पाई गई थी। फिजिक्स की परीक्षा देने के बाद उसने यह कदम उठाया। संगारेड्डी जिले की रहने वाली वह छात्रा कथित तौर पर मानसिक तनाव में थी। परीक्षा में शामिल होने के बाद उसने शिक्षकों से संपर्क किया था। शिक्षक ने उसे समझाने की कोशिश की, मगर एक दिन उसने शौचालय में जाकर फांसी लगा ली।

बसर आईआईटी में पिछले साल दो आत्महत्याएं हुईं। पिछले साल दिसंर में कैंपस के बॉयज हॉस्टल में एक छात्र ने फांसी लगा ली थी। 17 साल के लड़के ने सुसाइड नोट में लिखा कि वह निजी कारणों से आत्महत्या कर रहा है। पिछले साल गस्त में बी.टेक इंटीग्रेटेड प्रोग्राम के प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहे एक 19 वर्षीय छात्र ने फांसी लगा ली थी। देह है कि उसने निजी कारणों से यह कदम उठाया।

मई 2020 में पीयूसी प्रथम वर्ष के एक छात्र ने एक लड़की को लेकर अपने सहपाठी के साथ झगड़े के बाद एक इमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश, जो कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों और देश के शीर्ष व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए सर्वोत्तम कोचिंग केंद्रों के लिए जाने जाते हैं, देश में बड़ी संख्या में छात्रों की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार हैं।

इस साल अप्रैल में इंटरमीडिएट (कक्षा 11 और 12) के परिणाम घोषित होने के 48 घंटों के भीतर 10 छात्रों की आत्महत्या से मौत हो गई। छात्र परीक्षा में फेल हो गए थे या कम अंक प्राप्त कर पाए थे।

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