गुवाहाटी। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के लिए भारतीय रेलवे विश्व में सबसे बड़ा ग्रीन रेलवे बनने के लिए मिशन मोड में कार्य कर रहा है। पूरे भारतीय रेलवे नेटवर्क में 85 प्रतिशत आरकेएम का विद्युतीकरण कार्य पूरा कर लिया गया है। सम्पूर्ण विद्युतीकरण के प्रयास में पूर्वोत्तर सीमा रेल (पूसीरे) ने चालू वित्त वर्ष की अंतिम तीन तिमाहियों में 132 रूट किमी से अधिक का विद्युतीकरण कार्य पूरा कर लिया है। पूसीरे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सब्यसाची डे ने सोमवार को बताया कि पूसीरे ने शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के अपने लक्ष्य के एक भाग के रूप में 1108 रूट किमी का विद्युतीकरण हासिल किया है, जो इस नेटवर्क के कुल 4216 रूट किमी का 26.28 प्रतिशत है। असम में 445 किमी रेलवे ट्रैक विद्युतीकृत किया गया है। इस जोन ने दिसंबर, 2023 तक अपने संपूर्ण रूट को विद्युतीकृत करने की योजना बनायी है।
हाल की प्रगति में, अलीपुरद्वार मंडल के सिलीगुड़ी जंक्शन- न्यू माल जंक्शन (48 आरकेएम), कटिहार मंडल के सिलीगुड़ी जंक्शन- अलुआबाड़ी रोड जंक्शन वाया बागडोगरा (74.17 आरकेएम) और लमडिंग मंडल के हैबरगांव- मैराबारी (43.80 आरकेएम) अनुभाग का सफलतापूर्वक विद्युतीकरण किया गया है। दिसंबर, 2022 तक लगभग 80 जोड़ी मेल/एक्सप्रेस और 03 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनें इलेक्ट्रिक इंजन के साथ आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से परिचालित की गई थी। यद्यपि उपरोक्त अधिकांश ट्रेनें इलेक्ट्रिक इंजन द्वारा समापन तक चल रही हैं; लगभग 18 जोड़ी गुवाहाटी तक, 05 जोड़ी कामाख्या तक और 03 जोड़ी डीजल इंजन बदलने से पहले इलेक्ट्रिक इंजन द्वारा जागीरोड तक चल रही हैं। नए अनुभागों के हाल में विद्युतीकृत होने से इलेक्ट्रिक इंजन द्वारा चलने वाली मेल और पैसेंजर ट्रेनों की संख्या में वृद्धि हुई है। विद्युतीकरण पूसीरे पर ट्रेनों की गतिशीलता में काफी सुधार करेगा और पूर्वोत्तर राज्यों में रेल नेटवर्क को मजबूत करेगा। जीवाश्म ईंधन से विद्युत में शिफ्ट किये जाने पर प्रदूषण में कमी के अलावा रेलवे के वित्तीय प्रदर्शन में भी सुधार होगा। इससे निर्बाध परिवहन में सुविधा के साथ-साथ ट्रेनों की औसत गति में भी वृद्धि होगी, जिसके परिणामस्वरूप ट्रेनों की आवाजाही समयपाबंद होगी।