इलेक्टोरल बॉन्ड: पहली बार किसी राजनीति पार्टी ने चंदा देने वाले का नाम किया सार्वजनिक, आइए जाने

इलेक्टोरल बॉन्ड,

Update: 2021-04-19 06:32 GMT

इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत के बाद पहली बार किसी राजनीति पार्टी ने इसके जरिए चंदा देने वाले के नाम को सार्वजनिक किया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने अपने उस एक दानकर्ता का नाम बताया जिसने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पार्टी को चंदा दिया।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन की झामुमो ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में मिले चंदों की जानकारी चुनाव आयोग को दी है। इसमें ये बताया गया है कि पार्टी को एक करोड़ का चंदा हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड की ओर से इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिला है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि डोनेशन बॉन्ड नंबर AAACH1201R के जरिए आया जिसे भारतीय स्टेट बैंक के कोर्ट कंपाउंड ब्रांच की ओर से जारी किया गया था। हिंडाल्को एक अम्यूमिनियम और तांबा बनाने वाली कंपनी है और आदित्य बिरला ग्रुप की सहायक कंपनी है। कंपनी की झारखंड के मूरी में एक अल्यूमीनिया रिफायनरी भी है।
इलेक्टोरल बॉन्ड पर क्यों है विवाद
एशोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) के पॉलिटिकल पार्टी वाच टीम का नेतृत्व करने वाली शेली महाजन के अनुसार ये पहली बार है जब जेएमएम ने इस तरह की कोई घोषणा की है।
इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दान देने वाले की पहचान को सार्वजनिक किया जाना इसलिए भी अहम है क्योंकि इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से राजनीतिक पार्टियों को गुप्त दान के लिए ही किया जाता है। यही कारण भी है कि इस स्कीम को कोर्ट में चुनौती दी गई है।
ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्कीम के इस्तेमाल से वोटर जान ही नहीं पाते हैं कि किस पार्टी को किस शख्स, कंपनी और संस्थान ने कितना चंदा दिया है। इससे पहले के नियमों के अनुसार सभी राजनीतिक पार्टियों को उन सभी लोगों की जानकारी देनी होती थी जिन्होंने 20 हजार से ज्यादा रुपये किसी पार्टी को चंदे के तौर पर दिए।
चुनावी सिस्टम में पार्दर्शिता की आवाज उठाने वाले कई कार्यकर्ता मानते हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड लोगों के 'जानने के हक' को प्रभावित करता है। इससे राजनीति पार्टियों को भी काफी सहूलियत मिल जाती है। इलेक्टोरल बॉन्ड की घोषणा 2017 के बजट में की गई थी और फिर इसे 2018 में लागू किया गया था।
इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दान देने वाले का नाम झामुमो ने क्यों किया सार्वजनिक
हिंडाल्को से इलोक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिले चंदे पर झामुमो के सचिव सुप्रीय भट्टाचार्य ने बताया कि हिंडाल्को ने कंपनी से चंदे की स्लिप की मांग की थी। उन्होंने कहा, 'चूकी हमने स्लिप दिया तो इसलिए हमने चुनाव आयोग को दिए रिपोर्ट में इसे सार्वजनिक भी किया। बीजेपी जैसी पार्टियां भले ही दानकर्ताओं के नाम सार्वजनिक नहीं करती हों लेकिन हमारे पास छुपाने को कुछ भी नहीं है।'
बता दें कि हाल के दिनों में इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने का सबसे लोकप्रिय जरिया बन गया है। एडीआर के अनुसार 2018-19 में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के पास आधी से ज्यादा चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए ही आया।
एडीआर की हालिया रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 में भी तृणमूल कांग्रेस और बसपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियों और 12 क्षेत्रीय पार्टियों के वित्तीय लेनदेन का भी विश्लेषण अभी तक किया गया है। इसमें भी ये बात सामने आई है कि इन पार्टियों को 50.44 प्रतिशत या करीब 312.37 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के ही जरिए मिले।
बीजेपी को मिला इलेक्टोरल बॉन्ड का सबसे बड़ा फायदा
बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड का सबसे बड़ा फायदा मिला है। पार्टी को 2017-18 और 2018-19 में कुल 2760.20 करोड़ रुपये चंदे के तौर पर मिले। इसमें 1660.89 करोड़ यानी 60.17 प्रतिशत पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड से मिला। बीजेपी की 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट अभी सार्वजनिक हो सकी है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च को एडीआर की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई थी।


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