सूखे ने डराए बागबान, ठप पड़ गए जरूरी काम

नौहराधार। जिला सिरमौर के मध्यम एवं ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पिछले चार महीने से बारिश न होने से फलदार पौधों व मुख्यत: सेब की फसल पर सूखे की मार पड़ रही है। बारिश न होने से जहां भूमि में नमी खत्म हो रही है तो वहीं सेब के पौधों में चिलिंग प्रक्रिया भी शुरू नहीं …

Update: 2024-01-08 07:02 GMT

नौहराधार। जिला सिरमौर के मध्यम एवं ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पिछले चार महीने से बारिश न होने से फलदार पौधों व मुख्यत: सेब की फसल पर सूखे की मार पड़ रही है। बारिश न होने से जहां भूमि में नमी खत्म हो रही है तो वहीं सेब के पौधों में चिलिंग प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पा रही है। सर्दियों के दौरान बागीचों में होने वाले कार्य भी वर्षा व हिमपात न होने के कारण रुके हुए हैं। जिला में करीब चार महीने से वर्षा नहीं हुई है। बारिश के इंतजार में बागबान आसमान की ओर टकटकी लगाकर देख रहे हैं। वर्षा व हिमपात ने होने से बागबानों को डर सता रहा है कि कहीं अगले साल की फसल प्रभावित न हो। दिसंबर में बर्फबारी व बारिश से जमीन में लंबे समय तक नमी रहती है।

वर्षा व हिमपात नकदी फसलों के उत्पादन के लिए फायदेमंद होता है, मगर इस बार नवंबर और दिसंबर में हिमपात और बारिश न होने से किसानों व बागबानों की चिंता बढ़ गई है। जमीन में नमी नहीं होने से बागबान सेब के पौधों के तौलिए बनाने व कार्य नहीं कर पा रहे हैं और न ही नए पौधे रोप सकते हैं। सूखे जैसी स्थिति के कारण अगले सीजन में होने वाली फसलों पर भी संकट खड़ा हो गया है। प्रगतिशील बागबान अशोक, राजेश, भीम सिंह, कमल, सुखदेव, जयदेव आदि ने कहा कि लंबे समय से वर्षा न होने के कारण सूखे जैसी स्थिति हो गई है। उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन दिनों हिमपात व वर्षा होने से जमीन में नमी लंबे समय तक बनी रहती है। आगामी सेब की फसल के लिए चिलिंग आवर्स पूरे होने की संभावना ज्यादा रहती है। सिरमौर के अन्य क्षेत्रों में सुबह और शाम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस से नीचे आ गया है, मगर दिन के समय तापमान अभी 11 से 13 डिग्री सेल्सियस के बीच है। यही कारण है कि सेब व अन्य फलों के पौधों में चिलिंग प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। अगर आने वाले दिनों में वर्षा और बर्फबारी होती है तो तापमान में गिरावट आ सकती है, जिससे कुछ हद तक बागबानों के लिए फायदेमंद हो सकती है।

बागबानी विशेषज्ञ का कहना है कि चिलिंग प्रक्रिया शुरू होने के बाद ही पौधा सुप्तावस्था यानी डोरमेसी में जाता है। पौधे और फल के उचित विकास के लिए पौधे का सुप्तावस्था में जाना जरूरी है। सेब की रायल किस्म के लिए 800 से एक हजार चिलिंग आवर्स की जरूरत होती है। अर्ली वैरायटी के पौधों के लिए 600 से 800 चिलिंग आवर्स होना जरूरी है। इसके अलावा स्टोन फ्रूट के लिए इससे भी कम चिलिंग आवर्स की आवश्यकता होती है। आड़ू के लिए 300 से 400 और खुमानी व प्लम के लिए भी चिलिंग आवर्स की आवश्यकता होती है।

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