कांग्रेस का हमला, कहा- सभी स्वतंत्र मीडिया और आवाजों को खत्म करने के लिए जानबूझकर उठाया गया कदम है
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नई दिल्ली: कांग्रेस ने बुधवार को दिल्ली के कुछ थिंक-टैंकों के दफ्तरों पर छापेमारी पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई और आरोप लगाया कि यह सभी स्वतंत्र मीडिया और आवाजों को खत्म करने के लिए एक जानबूझकर उठाया गया कदम है.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि आयकर विभाग ने बुधवार को अलग-अलग राज्यों में कथित टैक्स चोरी, एफसीआरए उल्लंघन और पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के अवैध धन से संबंधित अलग-अलग मामलों में छापे और सर्वेक्षण किए. ऑपरेशन ने सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर), वैश्विक एनजीओ ऑक्सफैम इंडिया और बेंगलुरु स्थित इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन को भी निशाना बनाया, उनके परिसरों पर छापेमारी की.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह पूरी तरह से अत्याचार है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर रिसर्च और वकालत संगठनों और सीपीआर, ऑक्सफैम और आईपीएसएमएफ जैसे स्वतंत्र धर्मार्थ ट्रस्टों पर छापा मारा गया है. एक वीडियो बयान में जयराम रमेश ने कहा कि यह सभी स्वतंत्र मीडिया और आवाजों को खत्म करने के लिए जानबूझकर उठाया गया कदम है.
बीते बुधवार को आयकर विभाग ने यूपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत 7 राज्यों में छापेमारी की थी. बताया गया कि राजनीतिक फंडिंग को लेकर ये छापेमारी हुई. यूपी में समाजवादी क्रांतिकारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय के घर पर आयकर विभाग ने कार्रवाई की. वहीं, राजस्थान के गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव के 53 ठिकानों पर इनकम टैक्स के छापे पड़े. वो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी मंत्री हैं.
सूत्रों ने बताया है कि यादव के ठिकानों पर छापेमारी मिल डे मिल और पौष्टिक आहार बनाने वाले निर्माता, सप्लाई करने वालों, उनके सहयोगियों और परिचितों के यहां की जा रही है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में आयकर विभाग ने कई कारोबारियों के ठिकानों पर छापेमारी की. बताया गया कि सबसे ज्यादा 37 ठिकानों पर छापेमारी जयपुर और कोटपुतली में की गई. जयपुर में निर्माता और सप्लायर के घर, फैक्ट्री, कार्यालय, गोदाम और कोटपुतली में सहयोगियों के ठिकानों पर जांच चली. इसे साथ ही इनके सहयोगियों के दिल्ली में आठ, महाराष्ट्र में सात और उत्तराखंड में एक ठिकाने पर कार्रवाई की गई.
छापेमारी में आयकर विभाग के 250 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे. इनके सहयोग के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी और सीआईएसएफ के जवान भी लगाए गए. गौरतलब है कि पौष्टिक आहार के निर्माता और सप्लायर मध्य प्रदेश में पौष्टिक आहार के वितरण में दागदार रह चुका है. यह मामला साल 2018 का बताया जा रहा है.