ईडी के समन पर हाजिर नहीं हुए सीएम के प्रेस सलाहकार, अब क्या होगा?

रांची: सीएम हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद पिंटू ईडी के समन पर मंगलवार को पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए। झारखंड के अवैध माइनिंग घोटाले और उससे संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में उन्हें बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित होने को कहा गया था। इसके पहले इसी मामले में साहिबगंज के …

Update: 2024-01-16 07:08 GMT

रांची: सीएम हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद पिंटू ईडी के समन पर मंगलवार को पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए। झारखंड के अवैध माइनिंग घोटाले और उससे संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में उन्हें बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित होने को कहा गया था।

इसके पहले इसी मामले में साहिबगंज के डीसी रामनिवास यादव और सीएम हेमंत सोरेन के करीबी माने जाने वाले आर्किटेक्ट विनोद सिंह भी ईडी के समन पर हाजिर नहीं हुए। हालांकि, विनोद सिंह ने ईडी को पत्र भेजकर परिवार में एक सदस्य की बीमारी का हवाला देते हुए एक हफ्ते का वक्त मांगा है।

उल्लेखनीय है कि साहिबगंज के अवैध खनन घोटाले को लेकर इन सभी के ठिकानों पर तीन जनवरी को ईडी की टीमों ने छापेमारी की थी। साहिबगंज के उपायुक्त रामनिवास यादव के कैंप कार्यालय से 7.25 लाख रुपये सहित अन्य के ठिकानों से 36.99 लाख रुपये की नकदी बरामद की गई थी। डीसी के आवासीय परिसर से 9 एमएम बोर के 19 कारतूस, .380 एमएम के 2 कारतूस और .45 पिस्टल का खाली खोखा मिला था। इसके अलावा कई दस्तावेज बरामद किए गए थे।

ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू को 16 जनवरी को पूछताछ के लिए उपस्थित होने को कहा था, जबकि, साहिबगंज के डीसी रामनिवास यादव को 11 जनवरी और कारोबारी विनोद सिंह को 15 जनवरी को तलब किया गया था।

झारखंड सरकार की ओर से कैबिनेट सेक्रेटरी ने 11 जनवरी को ईडी को पत्र लिखकर उन मामलों की जानकारी मांगी थी, जिनमें सीएम हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद पिंटू एवं साहिबगंज के उपायुक्त रामनिवास यादव को समन किया गया है।

दरअसल, कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि अगर राज्य के बाहर की जांच एजेंसियां मसलन ईडी, सीबीआई, एनआईए, आयकर विभाग की ओर से राज्य के किसी अफसर को नोटिस या समन भेजा जाता है, तो वे सीधे हाजिर नहीं होंगे। इसके बजाय वे अपने विभागीय प्रमुख के जरिए राज्य के मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को सूचित करेंगे। इसके बाद वे उच्चाधिकारियों के निर्देश के अनुसार ही एजेंसी के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित होंगे और सरकारी फाइलें एवं दस्तावेज साझा करेंगे।

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