ग्राम सेवा सहकारी समितियों में गरमा रहे गबन के मामले

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Update: 2023-08-18 16:18 GMT
हनुमानगढ़। हनुमानगढ़ जिले की सहकारी समितियां गबन का गढ़ बनती जा रही है। एक के बाद एक गबन के मामले गरमा रहे हैं। मगर किसानों को राहत मिलने के आसार नहीं हैं। बीते एक दशक की बात करें तो करीब तीन दर्जन से अधिक ग्राम सेवा सहकारी समितियों में अनियमितताओं की शिकायतें आ चुकी है। संगरिया के रतनपुरा ग्राम सेवा सहकारी समिति में तो धारा 55 के तहत अब जांच भी पूरी हो गई। इसमें करीब 20 करोड़ के गबन की पुष्टि हो चुकी है। सहकारिता विभाग के उप रजिस्ट्रार शिवकुमार पेड़ीवाल ने अब केंद्रीय सहकारी बैंक के एमडी को रिपोर्ट भेजकर दोषियों की कुर्कशुदा जमीन की नीलामी करवाकर पीड़ित किसानों को राहत दिलाने का निर्देश दिया है।
उक्त समिति के कई किसानों को करीब दस महीने से एफडी राशि सहित अन्य जमा पैसों के मिलने का इंतजार है। रतनपुरा मामले में आरोपी पूर्व व्यवस्थापक रमेश सहारण व सहायक व्यवस्थापक भूप सिंह (वर्तमान में बर्खास्त) को गबन मामले में दोषी माना गया है। इस बीच ताजा मामला तलवाड़ा झील ग्राम सेवा सहकारी समिति का सामने आया है। इसमें भी छह से सात करोड़ के गबन की आशंका है। इस मामले में जांच कमेटी गठित कर विभागीय जांच करवाने की कवायद शुरू कर दी गई है। जिले की सहकारी समितियों पर कुछ लोगों की बुरी नीयत होने की वजह से लगातार समितियां बदनाम हो रही है।
ग्राम सेवा सहकारी समिति तलवाड़ाझील में हुए गबन के मामले में ग्रामीणों ने कलक्टर व एमडी से मिलकर इसकी निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की है। पीड़ित किसानों के अनुसार ग्राम सेवा सहकारी समिति हनुमानगढ़ केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड टिब्बी के अधीन आती है। ग्राम सेवा सहकारी समिति तलवाड़ा झील में हुए गबन के मामले की जांच सात अगस्त से तेहर अगस्त के बीच की गई। जिसमें मियादी जमा मेन्युअल खाते के अनुसार मियादी जमाओं की कुल बकाया राशि 4,88,35,555 है तथा अमानतदारों से प्राप्त फोटो प्रतिलिपि, जो कि मेन्यअुल लेजर में नहीं है की राशि 6300000 है। बचत खाता लेजर के अनुसार कुल बकाया राशि 9404724 है। आर्वती जमा लेजर के अनुसार कुल बकाया राशि 2,83,616 है। अमानतदारों को देय कुल राशि 6,48,23,895 है। आरोप है कि सहकारी समिति का व्यवस्थापक व सहव्यवस्थापक ने मिलकर टीडीआर व बचत खातों का गबन किया है। यह प्रकरण एमडी के संज्ञान में लाया गया लेकिन उन्होंने कार्रवाई नहीं की। इस स्थिति में जमाकर्ता भुगतान लेने के लिए चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन वहां कोई न्याय नहीं मिल रहा है। इस मामले की भी विभागीय जांच अब शुरू हो गई है। देखना है कब तक किसानों को राहत मिलती है।
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