राजस्थान। भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता कैलाश मेघवाल को पार्टी से निलंबित कर दिया गया है. इसके बाद से वह राजस्थान बीजेपी पर और भी हमलावर हो गए हैं. जनसंघ से बीजेपी में आए 89 साल के मेघवाल ने बीजेपी पर कई गुट होने और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पर पैसे लेकर टिकट दिलाने जैसे कुकर्मों में शामिल होने का आरोप लगाया है. कुल मिलाकर अब कैलाश मेघवाल बीजेपी से अलग अपनी राह पर चलते नजर आ रहे हैं. ऐसे में राजस्थान की राजनीति में यह चर्चा जोरों पर है कि कैलाश मेघवाल कांग्रेस से हाथ मिला सकते हैं ताकि शाहपुरा सीट पर कांग्रेस का दबदबा हो सके. हालांकि निलंबन के बाद अब मेघवाल फैसला आने तक इंतजार करने और उसके बाद अगला कदम उठाने की बात कह रहे हैं. 28 अगस्त को कोठिया में अपने भाषण के दौरान कैलाश मेघवाल ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पर जमकर आरोप लगाए थे. इस भाषण के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि कैलाश मेघवाल के खिलाफ कार्रवाई करेंगे. इधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसी न किसी बहाने उनकी तारीफ करते रहे हैं और वे भी गहलोत की तारीफ करते रहे हैं. इसके बाद से ही उनके कांग्रेस की ओर रुख करने की अफवाहें शुरू हो गई थीं.
माना जा रहा है कि बीजेपी में 70 साल से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट न देने और गुजरात मॉडल अपनाने की चर्चा के बाद मेघवाल के लिए राह मुश्किल दिख रही है. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय मंत्री और राजस्थान बीजेपी के खिलाफ उनका बयान खुद को पार्टी से दूर करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है. कैलाश मेघवाल के बयान पर पलटवार करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था, ''वह (कैलाश मेघवाल) मंच से मुझे धमकी दे रहे थे कि इस बार टिकट देंगे या नहीं. मैंने कहा कि टिकट पार्टी तय करती है. उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की होगी और उन्हें एहसास हुआ होगा कि उन्हें टिकट नहीं मिल रहा है. जब वह कांग्रेस सीएम की तारीफ कर रहे हैं तो स्वाभाविक है कि वह मेरी आलोचना करेंगे।'
कांग्रेस की जाट नेता ज्योति मिर्धा के बीजेपी में शामिल होने के बाद कैलाश मेघवाल कांग्रेस के लिए बड़ा दांव हो सकते हैं. चूंकि शाहपुरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस को फिलहाल कैलाश मेघवाल का कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में पार्टी इन्हें मिलाकर शाहपुरा सीट पक्की कर सकती है. इतना ही नहीं 54 साल के राजनीतिक अनुभव वाले कैलाश मेघवाल के अनुभवों का भी कांग्रेस को फायदा मिलेगा. पार्टी से सस्पेंड होने के बाद कैलाश मेघवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वह राजनीति में सक्रिय हैं और चुनाव लड़ेंगे और 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीतेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें टिकट की चिंता नहीं है. इसके अलावा उन्होंने शाहपुरा को जिला बनाने के सीएम अशोक गहलोत के प्रयास का भी जिक्र कर कांग्रेस पार्टी के प्रति सकारात्मक होने का संकेत दिया. कांग्रेस से चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस से चुनाव लड़ना अभी बहुत दूर की बात है. यानी उन्होंने इस बात से इनकार नहीं किया.
अगर कांग्रेस पार्टी 70 से अधिक उम्र वाले विधायकों के टिकट काटने के फॉर्मूले पर चलती है तो 89 साल के कैलाश मेघवाल को कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी कोई फायदा मिलेगा या नहीं, इसमें संदेह हो सकता है. ऐसे में उम्मीद है कि मेघवाल निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस शाहपुरा से अपना उम्मीदवार नहीं उतारकर उनका समर्थन करेगी. इस तरह मेघवाल कांग्रेस पार्टी के उम्र के फेर में नहीं फंसेंगे और उनके खाते में जाने वाले बीजेपी के वोटों से वंचित नहीं होंगे. माना जा रहा है कि अगर मेघवाल कांग्रेस पार्टी में शामिल होते हैं तो पार्टी विरोधी वोट कट सकते हैं जो कहीं न कहीं बीजेपी के नाम पर उनके खाते में जा रहे थे. 1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले कैलाश चंद्र मेघवाल 1969 में भारतीय जनसंघ में शामिल हुए। 1969 से 1975 तक वह राजस्थान में भारतीय जनसंघ के संयुक्त सचिव रहे। राजस्थान में छह बार विधायक, तीन बार सांसद। वह चार बार राजस्थान सरकार में मंत्री, दो बार केंद्र सरकार में मंत्री और 2014-19 तक राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं। इसके अलावा वह राजस्थान बीजेपी के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. फिलहाल वह शाहपुरा विधानसभा सीट से विधायक हैं.