उदयपुर। उदयपुर न्यू भूपालपुरा जैन श्वेताम्बर संघ (मुनि सुव्रत स्वामी जिन मंदिर) द्वारा नवनिर्मित आराधना भवन का भूमि पूजन एवं शिलान्यास रविवार को भक्तिभाव से सम्पन्न हुआ। संघ के अध्यक्ष बी.एल. चंडालिया, कमलेश जाराली एवं उपाध्यक्ष देवेन्द्र मेहता ने बताया कि भगवान मुनि सुव्रत स्वामी जिनालय के पास नवनिर्मित प्रस्तावित आचार्य जगच्चंद्र सूरिश्वर आराधना भवन का भूमि पूजन एवं शिलान्यास विधि विधान से आचार्य निपुणरत्न सूरिश्वर एवं साधु-साध्वियों की पावन निश्रा में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उद्योगपति एवं भामाशाह मांगीलाल लुणावत थे। बाद में आचार्य का प्रवचन, समाजसेवियों एवं मुख्य अतिथियों का बहुमान किया गया।
उदयपुर वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से बुधवार को सिंधी बाजार स्थित पंचायती नोहरे में मरूधर केसरी मिश्रीमल एवं रूपमुनि रजत की जन्म जयंती धूमधाम से मनाई जाएगी। इसमें देश भर से 700 श्रावकों के भाग लेने की संभावना है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया होंगे। विशिष्ट अतिथि राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया होंगे। कार्यक्रम में प्रसिद्ध फिल्मकार केसी बोकाड़िया की विशेष उपस्थिति रहेगी। अध्यक्षता चेन्नई के आनंदमल छल्लानी करेंगे। समारोह रत्न मोहनलाल गड़वानी होंगे। संघ के अध्यक्ष एडवोकेट सुरेश नागौरी ने बताया कि मंगलवार शाम भक्ति संध्या का आयोजन होगा। इसमें इंदौर के प्रसिद्ध गायक लवेश बुरड़ एवं उनकी टीम प्रस्तुतियां देगी। महोत्सव का समापन बुधवार को होगा।
उदयपुर हुमड़ भवन में विराजित आचार्य वर्धमान सागर ने प्रात:कालीन धर्मसभा में उपस्थित श्रावकों से कहा कि आप आत्म परिणामों से सुख या दुख का अनुभव करते हैं। आप लोग जाने-अनजाने में कर्म का बंध कर लेते हैं। कर्मों से बंधी आत्मा संसार में परिभ्रमण करती है। एक उदाहरण से आचार्य ने बताया कि दूध से दही जमाया जाता है, दही को बिलोल कर मक्खन निकाला जाता है और उस मक्खन को जब अग्नि में तपाया जाता है तब घी प्राप्त होता है। उसी प्रकार आपको संयम, तप आदि पुरुषार्थ से जिनवाणी के चारों अनुयोग का सार सम्यक ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है उदयपुर जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में आयड़ तीर्थ पर साध्वी प्रफुल्लप्रभा एवं वैराग्य पूर्णा आदि साध्वियों के सान्निध्य में सोमवार को विविध आयोजन हुए। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सान्निध्य में आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। साध्वी प्रफुल्लप्रभा व वैराग्यपूर्णा ने कहा कि साधु जीवन तो संपूर्ण त्याग प्रधान है। पाप प्रवृत्तियों का संपूर्ण त्याग होता है। गृहस्थ जीवन में पाप के बिना चलता नहीं है, परंतु पाप का भय तो उसे सतत रहना ही चाहिए।