राजस्थान चुनावों से पहले देखिये उदयपुरवाटी में कांग्रेस के पास राजेंद्र गुढ़ा का क्या है विकल्प

Update: 2023-09-01 10:44 GMT
राजस्थान। 2023 के विधानसभा चुनाव में हर किसी की नजर उदयपुरवाटी विधानसभा सीट पर रहने वाली है इस सीट से मौजूदा वक्त में राजेंद्र गुढ़ा विधायक है. गुढ़ा ने बसपा के टिकट पर चुनाव जीता और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर में मंत्री भी बने. हालांकि चुनावी साल में गुढ़ा विवादों में घिरे रहे और उन्हें उनके मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया. गुढ़ा जिसे बाद में उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र कहा गया. यहां से सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड शिवनाथ सिंह के नाम है. 1957 में शिवनाथ सिंह पहली बार विधायक चुने गए. इसके बाद 1967, 1993 और 1998 में विधायक बने. वहीं इसी सीट से बैक-टू-बैक दो भाई भी विधायक चुने गए. 2003 में रणवीर सिंह गुढ़ा विधायक चुने गए थे. इसके बाद 2008 में उनके छोटे भाई राजेंद्र सिंह गुढ़ा विधायक बने. हालांकि 2013 में गुढ़ा चुनाव हार गए, लेकिन 2018 में एक बार फिर विधायक के रूप में विधानसभा पहुंचे।
उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र का इतिहास यूं तो 72 साल पुराना है, लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद उदयपुरवाटी नए विधानसभा क्षेत्र के रूप में उभरी. इससे पहले इसे गुढ़ा विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था. मौजूदा वक्त में यहां से राजेंद्र गुढ़ा विधायक है. राजेंद्र गुढ़ा ने पिछला चुनाव बसपा के टिकट पर जीता था और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे. मंत्री पद से बर्खास्त होने के बाद राजेंद्र गुढ़ा चुनाव में क्या कदम उठाते हैं यह देखना बेहद दिलचस्प होगा. वहीं कांग्रेस से भगवान राम सैनी, मुरारी सैनी और रविंद्र भडाना समेत एक दर्जन से ज्यादा नेता दावेदारी जाता रहे हैं, तो वहीं बीजेपी में भी दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है. बीजेपी से एक बार फिर शुभकरण चौधरी टिकट की मांग कर रहे हैं, तो वहीं पवन सैनी भी मजबूत दावेदारी जाता रहे हैं. इस चुनाव में रणवीर गुढ़ा के भी चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं. हालांकि अभी रणवीर गुढ़ा ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं. उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र में एक बड़ा मुद्दा कुंभाराम लिफ्ट कैनाल के पानी का भी है. साथ ही यह क्षेत्र दो जिलों में बट गया है. इसका नफा-नुकसान भी आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है.
1951 के विधानसभा क्षेत्र में उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने करणी राम को चुनावी मैदान में उतारा तो वहीं राम राज्य परिषद की ओर से देवी सिंह ने ताल ठोकी. इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार 10,536 मत ही हासिल कर सका, जबकि राम राज्य परिषद के देवी सिंह 51% मतों के साथ 12,283 मत पाने में कामयाब हुए और उसके साथ ही देवी सिंह उदयपुरवाटी से पहले विधायक चुने गए. 1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदला और शिवनाथ सिंह को टिकट दिया. वहीं राम राज्य परिषद के टिकट पर सवाई सिंह ने ताल ठोकी. इस चुनाव में कांग्रेस के शिवनाथ सिंह को प्रचंड बहुमत मिला और उन्हें 11,023 मत के साथ जीत हासिल की.
1962 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शिवनाथ सिंह को एक बार फिर टिकट दिया तो वहीं स्वराज पार्टी से जीवराज चुनावी मैदान में उतरे. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी से ज्ञान प्रकाश ने भी ताल ठोका. चुनाव में स्वराज पार्टी के जीवराज की जीत हुई और उन्हें 13,303 मत मिले. 1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर से शिवनाथ सिंह पर ही दांव खेला तो वहीं स्वराज पार्टी की ओर से आई सिंह उम्मीदवार बने. इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार शिवनाथ सिंह की एक बार फिर जीत हुई और उन्हें 21,875 मत हासिल हुए. 1972 के विधानसभा चुनाव में दो ही उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे. कांग्रेस ने जहां चंद्र सिंह को टिकट दिया तो वहीं निर्दलीय के तौर पर रामेश्वर लाल चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में गुढ़ा की जनता ने रामेश्वर लाल को 55% वोट देकर जिताया और उन्हें 26,255 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ.
1977 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से शिवनाथ सिंह पर ही दांव खेला तो जनता पार्टी की ओर से इंदर सिंह चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में गुढ़ा की जनता ने जनता पार्टी के इंदर सिंह का साथ दिया और उनकी 24,808 मतों से जीत हुई जबकि कांग्रेस की शिवनाथ 20,995 मत ही हासिल कर सके और उसके साथ ही इस चुनाव में इंदर सिंह की जीत हुई. 1980 के विधानसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की ओर से शिवनाथ सिंह एक बार फिर मैदान में थे तो वहीं वीरेंद्र प्रताप सिंह को जनता पार्टी जेपी से टिकट मिला. वहीं निर्दलीय ही मैदान में उतरे भोलाराम ने भी कड़ी टक्कर देने की कोशिश की. इस चुनाव में जनता पार्टी जेपी के वीरेंद्र प्रताप सिंह की जीत हुई और उन्हें 20,374 वोट मिले हालांकि कांग्रेस के शिवनाथ सिंह बेहद कम अंतर से चुनाव हार गए. 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से भोलाराम चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं शिवनाथ सिंह ने एक बार फिर निर्दलीय ही पर्चा भरा, जबकि जनता पार्टी से वीरेंद्र प्रताप सिंह उतरे. इस चुनाव में कांग्रेस के भोलाराम की 28,426 मतों से जीत हुई जबकि 22,924 मतों के साथ निर्दलीय उम्मीदवार शिवनाथ सिंह चुनाव हार गए और जनता पार्टी के वीरेंद्र प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर रहे.
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