उत्तराखण्ड न्यूज़: एडवोकेट रोहित डंडरियाल व उपान्त डबराल द्वारा अभद्र वेब कंटेंट को रोकने हेतु उठाया गया कदम
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आज के दौर में इंटरनेट के माध्यम से वेब कंटेंट देश-दुनिया की बड़ी आबादी तक पहुँच रहा है। इन वेब कंटेंट में कई अभद्रता भी पाई जा रही है, जिसको देखते हुए एडवोकेट रोहित डंडरियाल व उपान्त डबराल ने अभद्रता को प्रतिबंधित करने की मांग उठाई है। जिसके लिए उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को एक पत्र प्रेषित किया है साथ ही मंत्रालय से मुलाकात करने की मांग की है।
बता दें, एडवोकेट रोहित डंडरियाल व उपान्त डबराल द्वारा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को प्रेषित पत्र में लिखा है कि "भारत सरकार का सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारतीय संस्कृति एवं मानवीय मूल्यों के संरक्षण का निर्वहन करता आ रहा है। आप ही हैं जो समय-समय पर अपने दिशा निर्देशों के द्वारा फ़िल्म जैसे सशक्त माध्यमों में सामाजिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए बचनबद्ध रहते हैं। कला के नाम पर समाज में नकारात्मक संदेश न पहुंचे ये प्रयास भारत सरकार का सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का होता है। आपकी एक नीति रही है कि फिल्म जैसे माध्यमों पर एक स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा पैनी नजर रखकर उसकी विषय वस्तु, संवाद, गीत-संगीत और अन्य आवश्यक पक्षों को समाज विरुद्ध होने से बचाया जाता रहा है। कला की प्रस्तुति ग्रामीण नुक्कड़ों से लेकर रंगमंच और बड़े फ़िल्मी पर्दे तक पहुंचते-पहुंचते कब अपना रूप बदल गयी? ये एक स्वप्न की भांति है। बदलाव समय के साथ उचित हैं लेकिन बदलाव सामाजिक मान-मर्यादाओं को खोने की शर्त पर हो तो बड़ा दुःखदायी होता है।
हम आपका ध्यान आजकल के वेब कटेंट पर केंद्रित करवाना चाहते हैं। वर्तमान समय में जो वेब कंटेंट दर्शकों के लिए परोसे जा रहे हैं उनको सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की गाइड लाइन से मुक्त रखा गया है। उसका परिणाम ये है कि उसमें उन्मुक्त सेक्स, गाली-गलौच और आपराधिक गतिविधियों को पूरा सरक्षण प्राप्त हो रहा है। उसका बुरा प्रभाव सीधा दर्शकों के मन मस्तिष्क पर पड़ रहा है। समाज मानसिक विकृति की ओर बढ़ रहा है। अगर यही स्थिति रही तो आने वाली पीढ़ी का चाल-चलन और चिंतन आक्रामकता की ओर बढ़ता चला जाएगा और समाज की सदियों से संरक्षित मान्यताएं समाप्त हो जाएगी। ये सौभाग्य की बात है कि इस समय हमारे सूचना एवं प्रसारण मंत्री भी देवभूमि से हैं। उस देवभूमि से जहां अध्यात्म और संस्कारों को जीवित रखा जाता है। इसलिए ऐसे अवसर पर हमारी भारतीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से करबद्ध प्रार्थना होगा कि इन उन्मुक्त वेब कटेंट को भी स्क्रीनिंग के दायरे में लाया जाए, जिससे भारतीय संस्कृति अपभ्रंशित न हो। समाज में आपराधिक गतिविधियों को कोई संरक्षण न मिले।"