उत्तराखंड न्यूज: अब नदियों के जलस्तर बढ़ने पर सिंचाई विभाग को मिल जाएगा अलर्ट

Update: 2022-11-03 09:27 GMT
आपदा से बचाव में आपदा प्रबंधन विभाग तैयार हो गया है। इसको लेकिर विभाग ने नदियों में जलस्तर बढ़ने पर तुरंत अलर्ट मिलने का प्रावधान तैयार कर लिया है। इसके लिए बांधों की डाउन स्ट्रीम में ऑटोमेटिक सेंसर लगाए जाएंगे। बड़ी नदियों और बांधों की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए राज्य सचिवालय में आपदा प्रबंधन विभाग और सिंचाई अनुसंधान संस्थान (आईआरआई), रुड़की के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो गए हैं। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि आईआरआई की ओर से समझौता ज्ञापन पर सिंचाई विभाग प्रमुख अभियंता दिनेश चंद्रा ने हस्ताक्षर किए हैं।
आईआरआई राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत नदियों में यह तंत्र विकसित कर रही है। इस समझौते के मुताबिक, दोनों संस्थाओं के बीच जल संसाधन संबंधी आंकड़े साझा हो सकेंगे। राज्य में बड़ी नदियों का रियल टाइम डाटा प्राप्त होगा और बाढ़ पूर्वानुमान और पूर्व चेतावनी तंत्र विकसित हो सकेगा। इस अवसर सभी जल विद्युत परियोजनाओं से जुड़े प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया था। उन सभी से रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित करने में सहयोग करने की अपील की गई।
समझौते के तहत राज्य की बड़ी नदियों में जल स्तर मापने के लिए सेंसर लगाए जाएंगे। ऑटोमेटिक वाटर लेवल रिकार्डर की मदद से एक ही जगह पर रियल टाइम डाटा की जानकारी मिलती रहेगी। रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए विकसित तंत्र राज्य सचिवालय में बने आपदा प्रबंधन विभाग के कंट्रोल से सीधे जुड़ेगा। यानी नदियों और बांधों में लगाए गए सभी सेंसर से सारा डाटा आपदा कंट्रोल रूम को प्राप्त होता रहेगा। आपदा कंट्रोल रूम को प्राप्त होने वाली सूचनाओं के आधार पर बाढ़ के खतरे की स्थिति रियल टाइम में चेतावनी जारी हो सकेगी।
पहले चरण में सभी नदियों से मैनुअल सेंसर हटाकर उनकी जगह ऑटोमेटिक सेंसर लगाए जाएंगे। केंद्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत ये सेंसर लगाए जाएंगे। समझौते के तहत राज्य के सभी बांधों की अपस्ट्रीम में ऑटोमेटिक सेंसर लगेंगे और डाउन स्ट्रीम में ऑटोमेटिक सायरन स्थापित होंगे।
आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि नदियों और बांधों के जल स्तर को मापने के लिए रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम आपदा प्रबंधन में बहुत मददगार होगा। एक ही जगह डाटा प्राप्त होने से चेतावनी तंत्र प्रभावी हो सकेगा। दो महीने में यह तंत्र तैयार कर लिया जाएगा।

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