उत्तराखंड न्यूज: चम्पावत की रीता गहतोड़ी का नाम पद्मश्री सम्मान को भेजा गया
उत्तराखंड न्यूज
चम्पावत, 14 सितंबर 2022- तीलू रौतेली से सम्मानित और चम्पावत जिले में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एंबेसडर रीता गहतोड़ी का नाम चंपावत प्रशासन द्वारा प्रतिष्ठित पद्मश्री (Padma Shri award)के लिए नाम भेजा गया है ।
रीता सामाजिक क्षेत्र में एक बड़ा नाम कमाने के साथ ही सामाजिक वर्जनाएं तोड़ समाज को दिशा दिखाने का काम कर चुकी हैं।
सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाली रीता गहतोड़ी का पिछले साल भी 2021 में जिलाधिकारी ने पदमश्री (Padma Shri award)के लिए नाम केन्द्र सरकार के भेजा था।
देश के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मश्री के लिए प्रशासन ने पहली बार चंपावत ज़िले से किसी महिला का नाम नामांकित कर गृह मंत्रालय को भेजा है।
चंपावत के ज़िला बनने के 24 सालों के इतिहास में लगातर दूसरी बार हुआ है
क्षेत्र में एक बड़ा नाम कमाने के साथ ही सामाजिक वर्जनाएं तोड़ समाज को दिशा दिखाने का काम कर चुकी हैं।
सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाली रीता गहतोड़ी का पिछले साल भी 2021 में जिलाधिकारी ने पदमश्री (Padma Shri award)के लिए नाम केन्द्र सरकार के भेजा था।
देश के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मश्री के लिए प्रशासन ने पहली बार चंपावत ज़िले से किसी महिला का नाम नामांकित कर गृह मंत्रालय को भेजा है।
चंपावत के ज़िला बनने के 24 सालों के इतिहास में लगातर दूसरी बार हुआ है कि यहां से कोई नाम इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए नामांकित किया गया हो।दरअसल मई महिने में केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन राज्यों से मांगे थे, जिनके तहत 26 जनवरी 2023 को मिलने वाले पद्मश्री अवॉर्ड (Padma Shri award)के लिए ज़िला प्रशासन ने रीता गहतोड़ी का नाम प्रस्तावित किया है, जो 2013 में उत्तराखंड के सबसे बड़े तीलू रौतेली पुरस्कार की विजेता रह चुकी हैं।
रीता गहतोड़ी राज्य में सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाला जाना पहचाना नाम हैं। चंपावत ज़िले में 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान की ब्रांड एंबेसडर भी रही हैं।
रीता सर्वप्रथम 2008 में एक अफगानिस्तानी नागरिक साबरा को न्याय दिलाने में मदद करने के बाद सुर्खियों में आई थीं।
मूल रूप से लोहाघाट स्थित चांदमारी की रहने वाली रीता दूसरी बार उस समय सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने 2012 में सामाजिक वर्जनाएं तोड़ते हुए अपने पिता हीरावल्लभ गहतोड़ी की अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट में मुखाग्नि दी थी।
वह हर साल पिता का श्राद्ध भी खुद करती हैं।