उत्तराखंड: बच्चे बोले, बाल सत्याग्रह लोकतांत्रिक व संवैधानिक अधिकार
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रुद्रपुर। प्रोडक्शन ठप होने से बंद हुई सिडकुल की इंटरार्क कंपनी छह जुलाई से श्रमिकों के लिए दोबारा खुलेगी। कंपनी प्रबंधन की ओर से सूचना जारी करने के बाद कंपनी के 500 श्रमिकों को राहत मिली है।
सोमवार देर शाम कंपनी को प्रबंधन की ओर से फैक्टरी खुलने के आदेश जारी कर दिए गए। 16 मार्च से कंपनी में तालाबंदी होने से श्रमिकों ने कई आंदोलन किए। इस बीच सिडकुल में मजदूर किसान महापंचायत के साथ ही बाल पंचायत का भी आयोजन किया गया। माता-पिता को नौकरी दिलाने के लिए उनके बच्चों ने भी आंदोलन में साथ दिया।
हाईकोर्ट से श्रमिकों को राहत मिलने के बाद शासन ने भी कंपनी की ओर से की गई तालाबंदी को अवैध घोषित कर दिया। कंपनी के डीजीएम और एचआर एडमिन बीवी श्रीधर ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि बुधवार से कंपनी नौ बजे से सुचारु रूप से चलाई जाएगी। इस संबंध में इंटरार्क श्रमिक संगठन के अध्यक्ष दलजीत सिंह ने कहा कि कंपनी खुलने से श्रमिकों को काफी राहत मिलेगी। हालांकि अभी भी श्रमिक और कंपनी प्रबंधन के बीच समझौता नहीं हुआ है।
बच्चे बोले, बाल सत्याग्रह लोकतांत्रिक व सांविधानिक अधिकार
रुद्रपुर। कंपनी से बेरोजगार किए गए श्रमिकों के बच्चों ने सोमवार को तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। बच्चों ने कहा कि बाल सत्याग्रह लोकतांत्रिक व सांविधानिक अधिकार है। एलान किया कि बाल अधिकारों के हनन के विरुद्ध छह जुलाई को भगत सिंह चौक पर संकल्प सभा आयोजित की जाएगी।
श्रमिकों के बच्चों ने तहसीलदार नीतू डागर को ज्ञापन देकर कहा कि उनके पिता समेत 500 श्रमिकों को कंपनी से बेरोजगार कर दिया गया है। चार माह से वेतन नहीं मिलने व श्रमिकों की कार्य बहाली की मांग को लेकर बाल सत्याग्रह का आयोजन किया जा रहा है लेकिन एएलसी व एक अन्य सदस्य की ओर से सिडकुल पंतनगर चौकी में श्रमिकों पर मुकदमा दर्ज करवा दिया गया है।
कहा कि संविधान में भी बच्चों को वयस्कों की तरह लोकतांत्रिक अधिकार प्राप्त हैं। इसके बावजूद बच्चों के साथ दोयम दर्जे व अपमानजनक व्यवहार कर बाल अधिकारों का हनन किया जा रहा है। कहा कि इसके विरोध में मजदूर, किसान, महिलाओं और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर छह जुलाई की शाम को भगत सिंह चौक पर संकल्प सभा की जाएगी। इसके साथ ही बच्चों ने सिडकुल चौकी इंचार्ज के माध्यम से डीजीपी व कुमाऊं आयुक्त को भी ज्ञापन भेजा। वहां शिवम यादव, नेहा, श्रीराम, वीरेंद्र कुमार, रामेश्वर दयाल, प्रशांत व नरेंद्र मणि त्रिपाठी आदि थे।