उत्तराखंड में सचिव स्तर के आईएएस अधिकारी चर्चाओं में, जानें क्यों

Update: 2022-08-02 14:57 GMT
देहरादून: हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड कैडर 2004 बैच के आईएएस अधिकारी बीवीआरसी पुरुषोत्तम की. इससे पहले वो केंद्र में पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के पीएस (personal secretary) के रूप में सेवाएं दे रहे थे. उन्हें कुछ महीने पहले ही केंद्र से रिलीव किया था. दिल्ली में भी वह अक्सर भारी ट्रैफिक से बचने के लिए अपनी साइकिल से ही दफ्तर जाया करते थे.
इससे पहले वे साल 2019 में गढ़वाल कमिश्नर पद पर तैनात थे और 2012 में देहरादून के जिलाधिकारी भी रह चुके हैं. वर्तमान में पुरुषोत्तम सहकारिता मत्स्य पशुपालन ग्रामीण विकास सचिव के पद पर कार्यरत है. इसके साथ ही वह राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के चीफ प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी हैं. आईएएस बीवीआरसी पुरुषोत्तम रोज सुबह अपने राजपुर रोड स्थित सरकारी आवास से सचिवालय साइकिल से पहुंचते हैं और शाम को साइकिल से ही वापस घर जाते हैं. आईएएस बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि उत्तराखंड में दुनिया का सबसे बड़ा साइकिलिंग ट्रैक है. ऐसे में वे साइकिलिंग फिट रहने के लिए करते हैं.
आईएएस बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि सुबह 4:00 से 5 बजे रोज देहरादून से मालदेवता की तरफ लगभग 20 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं. उसके पश्चात घर से दफ्तर भी साइकिल में ही आया जाया करते हैं. साइकिलिंग का जुनून इस प्रकार है कि कभी-कभी वह 40 से 50 किलोमीटर साइकिल का सफर ढाई घंटे में तय कर लेते हैं. इसके लिए वे स्ट्रावा सर्विस का उपयोग करते हैं. स्ट्रावा शारीरिक व्यायाम पर नजर रखने के लिए एक अमेरिकी सर्विस प्रोवाइडर है. इसका उपयोग ज्यादातर जीपीएस डेटा का उपयोग करके साइकिल चलाने और दौड़ने के लिए किया जाता है. साइकिल से जहां समय की बचत होती है, वहीं भारी ट्रैफिक से भी बचा जाता है. उनके कार्यालय के कई कर्मचारी बताते है कि आईएएस बीवीआरसी पुरुषोत्तम उनसे पहले दफ्तर पहुंच जाते हैं और जरूरी काम निपटा रहे होते है.
कई भाषाओं का है ज्ञान: आईएएस अधिकारी बीवीआरसी पुरुषोत्तम को कई भाषाओं की अच्छी जानकारी है. बीवीआरसी पुरुषोत्तम की फ्रेंच भाषा पर अच्छी पकड़ है. इसके अलावा वे हिंदी, अंग्रेजी, तमिल और गढ़वाली भी बोलते हैं. जून 2019 में गढ़वाल कमिश्नरी के 50 साल पूरे होने पर सुनैरो गढ़वाल कार्यक्रम आयोजित हुआ था. सरकार ने पौड़ी में इस उपलक्ष्य में कैबिनेट की बैठक की थी.
मंत्रियों और विधायकों ने अपने स्टेटस तो गढ़वाली में लिखे थे, लेकिन ज्यादातर लोग हिंदी में भाषण देते नजर आए. तत्कालीन गढ़वाल आयुक्त बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने अपना संबोधन गढ़वाली भाषा में दिया था. पुरुषोत्तम ने कहा था- 'इ भाषा ही छ कि दक्षिण भारत कु आदमी गढ़वाली मा अपणी बात बोलणु छ.' ये सुनकर पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था.
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