भारत में बनने वाले खादी के कपड़े अब धीरे-धीरे विदेशों में भी मचाने लगे हैं धूम
भारत में बनने वाले खादी के कपड़े अब धीरे-धीरे विदेशों में भी धूम मचाने लगे हैं
भारत में बनने वाले खादी के कपड़े अब धीरे-धीरे विदेशों में भी धूम मचाने लगे हैं. जर्मनी के साथ ही इंग्लैंड, फ्रांस और कई अन्य देशों में अब नैनीताल के बने खादी के कपड़ों की डिमांड बढ़ गई है. विदेशों से इन कपड़ों की जमकर डिमांड आ रही है. इससे स्थानीय लोगों के रोजगार में भी बढ़त हो रही है.
नैनीताल के तल्लीताल में स्थित एलबिडो टेलर्स के मालिक विजय कुमार ने न्यूज18 लोकल से बात करते हुए बताया कि वह खादी कपड़े बनाने का काम करीब 12 वर्षों से कर रहे हैं. बीते अप्रैल-मई के महीने में पर्यटन सीजन के दौरान जर्मनी से एक महिला पर्यटक उनकी दुकान से खादी के गाउन और कोट लेकर गई. उन्हें यह कपड़े काफी पसंद आए और इन कपड़ों की काफी सराहना भी की. इसके बाद वह उनका संपर्क नंबर भी ले गई. विजय ने बताया कि जर्मनी जाने के बाद अब उनसे खादी कपड़ों पर जर्मन फैशन के डिजाइन बनवाए जा रहे हैं, जिन पर काम चल रहा है. इसके अलावा खादी की बनी पहाड़ी टोपी भी वह बना रहे हैं जिससे पहाड़ की संस्कृति को आगे तक ले जाया जा सके. खादी के कपड़ों में जैकेट, शर्ट, पहाड़ी टोपी, मफलर, गाउन, टॉप, वास्केट, कुरता पैजामा व अन्य बनाए जा रहे हैं.
स्थानीय लोगों को मिला रोजगार
विजय ने बताया कि खादी के कपड़े विदेशी पर्यटकों को भा रहे हैं, यह हमारे देश के लिए गर्व की बात तो है ही साथ ही स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल रहा है, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं. कपड़ों में सिलाई कढ़ाई का काम करने वाली वंदना बताती हैं कि उन्हें सिलाई का काम काफी अच्छा लगता है और इसे रोजगार का जरिया बनाकर वह काफी खुश हैं. खादी के कपड़ों की डिमांड बढ़ रही है और इसमें अलग-अलग डिजाइन पर्यटकों को लुभा रहे हैं.
सरकार से भी मदद की मांग
विजय का कहना है कि खादी कपड़ों की जमकर देश विदेश में मांग बढ़ने लगी है, इसलिए राज्य सरकार को भी खादी के क्षेत्र में काम करने वाले छोटे कारीगरों की मदद करने के लिए आगे आना चाहिए, जिससे भारत में बनने वाले खादी के कपड़े विदेशों के कोने कोने तक पहुंचे.
यहां मिलने वाले खादी के बने उत्पादों के दाम
मफलर – 400₹
कोट – 1800-2000₹
गाउन – 1400-1500₹
वास्केट – 1000-1500₹
पहाड़ी टोपी – 200-400₹