हिमालय क्षेत्र में बुग्यालों को होगा नुकसान, उत्तराखंड में हर साल ऊपर खिसक रही ट्री लाइन

Update: 2022-07-23 12:48 GMT
उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में ट्री लाइन यानि पेड़ों की श्रृंखला हर साल औसतन करीब 15 से 20 मीटर ऊंचाई की ओर खिसक रही है। यह उच्च हिमालयी क्षेत्रों के बुग्यालों के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। जलवायु परिवर्तन से हिमालयी क्षेत्र में चौड़ी पत्ती वाले पेड़ों की कई प्रजातियां 3700 से 3800 मीटर की ऊंचाई में भी उगने लगी हैं।
ये चौंकाने वाला तथ्य जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावारण संस्थान के शोध में सामने आया है। हिमालयी क्षेत्र में समुद्र तल से तीन हजार मीटर या इसके आसपास की ऊंचाई पर ही पेड़ होते हैं। उत्तराखंड में ट्री लाइन या टिंबर लाइन करीब 2750 किमी लंबी है। बीते कुछ दशकों से जलवायु परिवर्तन के चलते ग्लेशियर पिघल रहे हैं। ऐसे में ठंडी जलवायु वाले पेड़ अब धीरे-धीरे और ऊंचाई की ओर भी उगने लगे हैं।
गढ़वाल के तुंगनाथ में किया शोध
जीबी पंत संस्थान के शोधार्थी डॉ.प्रदीप सिंह मेहता और डॉ.जीसीएस नेगी के नेतृत्व में गढ़वाल के तुंगनाथ क्षेत्र में पांच साल शोध किया। एक जरनल में प्रकाशित इस शोध में डॉ.प्रदीप ने बताया तुंगनाथ में करीब 3800 मीटर ऊंचाई पर भी बुरांश के सिमरू एवं कुछ अन्य प्रजातियों के पेड़ पाए गए।
क्या है ट्री लाइन
ट्री लाइन को टिंबर लाइन भी कहा जाता है। ट्री लाइन हिमालयी राज्यों में अलग-अलग ऊंचाई पर होती है। यह समुद्र सतह से ऊंचाई के आधार पर पेड़ों के उगने की अंतिम सीमा है। हिमालयी क्षेत्रों में ट्री लाइन के बाद पेड़ नहीं उगते हैं।
शोध में पाया गया है कि उत्तराखंड में ट्री लाइन हर साल औसतन 15 से 20 मीटर ऊपर जा रही है। तापमान और बारिश ट्री लाइन ऊंचाई की ओर खिसकने के प्रमुख कारक बने हैं।
डॉ.सुब्रत शर्मा, वैज्ञानिक, जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, लेह लद्दाख शाखा।

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