प्रदेश कांग्रेस में कुछ दिन शांति के बाद एक बार फिर आपसी खींचतान शुरू हो गई है। इसे पूर्व सीएम हरीश रावत ने देवरानी-जेठानी के झगड़े की उपमा दी है। उनका कहना है कि मैं तो जेठानी हूं... जो लगातार अपना काम कर रही है, लेकिन अच्छी बात है, अब देवरानियां भी जाग गई हैं। हरीश का यह बयान उस वक्त सामने आया है, जब पार्टी का एक गुट लगातार बैठकें कर रहा है। इसे हरीश के खिलाफ मोर्चा खोलने के तौर पर देखा जा रहा है। पहले दिन देहरादून में पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के घर पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी समेत दो पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण, राजकुमार और महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लाल चंद शर्मा पहुंचे थे। इस दौरान हरक सिंह रावत ने विपक्ष के कमजोर होने और हरीश रावत को टोटकों की राजनीतिक न करने की सलाह दी थी।
इसके बाद अगले दिन यही सब नेता हरिद्वार में हरीश रावत के करीबी माने जाने वाले श्रीजयराम आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी से मिले और उनके आश्रम में बैठक की।
इस दौरान हरक सिंह ने हरीश के गढ़ से लोकसभा के चुनाव के लिए खुद की दावेदारी पेश कर दी। उन्होंने कहा कि हरीश रावत पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, अब उन्हें दूसरों को मौका देना चाहिए। हरक सिंह रावत की अगुवाई में हुई इन दो बैठकों के बाद इसे हरीश रावत को उन्हीं के गढ़ में घेरने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
इधर, पूर्व सीएम रावत ने कहा कि आज भी कुछ नेता भाजपा नेताओं की भाषा बोल रहे हैं। प्रदेश में कांग्रेस संगठन बेहद मजबूत है। विपक्ष कमजोर है, निराश है, जैसी बातें भाजपा को करनी चाहिए, न कि कांग्रेस के नेताओं को। रही बात टोटकों की तो राजनीति में टोटकों के बिना काम नहीं चलता है। यदि किसी के पास नहीं है तो वह उनके पास से आकर ले जाएं।
रावत ने कहा कि उन्होंने अग्निवीर योजना के विरोध में राजनीतिक टोटका किया था। अब 14 को गैरसैंण और फिर 15 को अल्मोड़ा में जाकर भी जनता से जुड़े मुद्दों पर आवाज उठाएंगे। यह भी टोटका ही हैं। कांग्रेस के भीतर अपने विरोध पर रावत ने कहा कि यह उनके टोटकों का ही कमाल है कि जो लोग थोड़ा झपकी लेने लगे थे, अब वह भी जाग गए हैं। पार्टी में उनकी भूमिका जेठानी की है जो साथी देवरानियों को जगाती रहती है। चलिए देवरानियां जागीं तो सही।
पार्टी में गुटबाजी की खबरों के बीच पूर्व सीएलपी प्रीतम सिंह ने भी अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि कालिदास दो चीजों के लिए जाने जाते हैं। एक अपनी विद्वता और दूसरा जिस डाल पर बैठे थे, उसी को काटने के लिए। इसलिए प्रीतम सिंह कालिदास नहीं हैं, जो जिस डाल पर बैठे हैं, उसी को काट दें।
उनके अनुसार, पार्टी में किसी तरह की कोई गुटबाजी नहीं है। उन्होंने कहा कि हरीश पार्टी के बड़े नेता हैं। अगर वह अकसर उन्हें याद करते हैं तो अच्छी बात है। देहरादून-हरिद्वार में बैठकों के सवाल पर उन्होंने कहा कि यदि उन्हें कहीं बुलाया जाता है, वहां जाने में किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए