उत्तराखंड | हरिद्वार में रोक के बावजूद गंगा में मूर्तियों का विसर्जन किया जा रहा है. जिला प्रशासन ने मूर्तियों के गंगा में विजर्सन पर रोक के आदेश तो दिए, लेकिन जिम्मेदार अफसरों की अनदेखी के चलते इस आदेश का अनुपालन नहीं हो पा रहा है. देर शाम शंकराचार्य चौक के निकट घाटों पर श्रद्धालु बिना रोक-टोक के मूर्तियों को गंगा में विसर्जित करते दिखे.
जिला प्रशासन ने गणेश चतुर्थी के शुरू होने से पहले ही मूर्तियों को गंगा में विसर्जित करने से रोकने के लिए तैयारी कर ली थी. इसको लेकर बैठक भी की गई थी. इसके बाद नगर निगम ने अलग-अलग तीन स्थानों को चिन्हित कर मूर्ति विसर्जन के लिए गड्ढे भी बनाए थे, जिसमें श्रद्धालु मूर्तियों को डाल सकते हैं. इसके बावजूद गंगा में मूर्तियों का विसर्जन किया जा रहा है. ही शंकराचार्य चौक के निकट अमरापुर घाट और परशुराम घाट पर छोटी और बड़ी पांच मूर्तियों को गंगा में श्रद्धालुओं के समूह ने विसर्जित किया. इस दौरान इन श्रद्धालुओं को रोकने वाला कोई नजर नहीं आया. नगर आयुक्त दयानंद सरस्वती का कहना है कि नगर निगम ने तीन स्थानों पर गड्ढे बनाने थे उसने वह कार्य कर दिया है. सिटी मजिस्ट्रेट प्रेमलाल का कहना है कि जो भी मूर्ति विजर्सन के लिए स्वीकृति लेने आ रहा है हम उसकी जानकारी पुलिस को दे रहे हैं. जिससे वह इस पर नजर रख सकें कि कोई श्रद्धालु या श्रद्धालओं का समूह गणेश की मूर्ति को गंगा में तो प्रवाहित नहीं कर रहा.
नर्सिंग होम के गलत संचालन का आरोप
कनखल थाना क्षेत्र में संचालित नर्सिंग होम को लेकर स्थानीय लोगों ने रोष जताया है. आरोप है कि मानकों के विपरीत नर्सिंग होम का निर्माण और संचालन किया जा रहा है. नर्सिंग होम का कूड़ा कॉलोनी की सड़कों पर फेंका जा रहा है.
क्षेत्र के लोगों ने प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता की. स्थानीय निवासी अनीस अरोड़ा आदि ने नर्सिंग होम को अवैध बताते नियमानुसार कार्रवाई की मांग की. आरोप है कि प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग से कई बार शिकायत करने के बाद भी सिर्फ कागजी कार्रवाई की जा रही है. आरोप है कि नर्सिंग होम का नक्शा आवासीय में पास कराकर व्यावसायिक गतिविधि संचालित की जा रही है. नर्सिंग होम की गंदगी सड़कों पर फैली रहती है इससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का अंदेशा बना रहता है.