बागेश्वर। गरुड़ में एक अध्यापिका द्वारा छात्र को पीटने के मामले में विभाग अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाया था कि कपकोट विकास खंड में अध्यापक द्वारा एक छात्र को मार कर घायल कर दिया। घायल के कान में चोट आई है। जिस पर जिला बाल कल्याण समिति ने गंभीरता बरतते हुए इस संबंध में जानकारी जुटाई तथा अधिकारियों से कार्रवाई की बात कही है।
बता दें कि गत दिवस राजकीय हाईस्कूल जगथाना के एक अध्यापक ने छात्र के साथ मारपीट की जिसकी शिकायत छात्र के पिता ने 112 को दी परंतु बाद में मामला निपटा गया। सोमवार को मामले की जानकारी मिलने पर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीवान सिंह दानू, सदस्य कैलाश बोरा व संतोष टम्टा ने जिला चिकित्सालय पहुंचकर इलाज करा रही चिकित्सक से बच्चे के स्वास्थ्य की जानकारी ली।
अध्यक्ष ने बताया कि सीडब्लूसी द्वारा इस संबंध में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को पत्र लिखकर आवश्यक कार्रवाई की मांग की जा रही है। साथ ही इस संबंध में सीईओ बागेश्वर, खंड शिक्षा अधिकारी कपकोट आदि को भी पत्र लिखकर जानकारी मांगी जा रही है। कहा कि पूर्व में राजकीय इंटर कालेज मैगड़ीस्टेट की अध्यापिका द्वारा छात्र के साथ मारपीट के मामले को विभागीय अधिकारियों ने हल्के में लिया जिसकी परिणिति दोबारा जगथाना में छात्र के साथ मारपीट की घटना है।
उन्होंने कहा कि पूर्व में मैगड़ीस्टेट की घटना के बाद बाल कल्याण समिति ने खंड शिक्षा अधिकारी गरुड़ को पत्र लिखकर मामले की जानकारी मांगी थी लेकिन समय बीत जाने के बाद भी उनके द्वारा कोई जानकारी समिति को नहीं दी है। जिसकी शिकायत भी उच्चाधिकारियों समेत राज्य बाल आयोग आदि को की जा रही है। कहा कि बच्चों का शोषण किसी कीमत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस संबंध में समिति द्वारा जिलाधिकारी को भी पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। कहा कि यदि जगथाना के अध्यापक समेत राइंका मैगड़ीस्टेट की अध्यापिका के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो प्रदेश समेत राष्टीय बाल आयोग को लिखकर कार्रवाई कराई जाएगी। साथ ही शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ भी लापरवाही की शिकायत की जाएगी।
बच्चों के शोषण के मामले में विभागीय अधिकारी अपने कर्मचारी को बचाने के लिए भविष्य में गलती न करने की चेतावनी देते हैं तथा पीड़ित के परिजनों से भी मामला रफा दफा करने के लिए निवेदन करते हैं। जिसके बाद मामला रफा दफा हो जाता है तथा अधिकारी भविष्य में इस तरह की घटना न होने की बात कहते हैं। जिस पर इस तरह के अध्यापकों के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं। सीडब्लूसी का मानना है कि इस तरह के अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई आवश्यक है तभी घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी।