मौदहा तहसील क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं जहां आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी शुद्ध पेयजल मिल पा रहा है। ग्रामीण आज भी जान को जोखिम में डालकर केन नदी से पीने का पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं। केन नदी से पानी भरते दो लोग लेव में बुरी तरह से फंस गए। जिन्हें ग्रामीणों की खासी मशक्कत के बाद बाहर निकाला।
मौदहा तहसील के छानी, गऊघाट, बक्छा, खैर एवं गढ़ा गांवों में आज भी लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिलता है। इन गांवों का पानी इतना खारा है कि लोग पी नहीं पाते हैं। ग्रामीणों को केन नदी के पानी से प्यास बुझानी पड़ रही है। बारिश के समय पेयजल की समस्या बढ़ी है। क्योंकि नदी में बाढ़ के साथ दूर दूर तक लेव जमा है।
छानी गऊघाट निवासी छोटेलाल पुत्र छिद्दू और चेहनू पुत्र बोधन केन नदी में इस कदर फंसे कि उन्हें जान बचाना मुश्किल हो गया। गनीमत रही कि नवरात्र विसर्जन पर प्रशासनिक अमला मौजूद था, दो ग्रामीणों को लेव में धंसते देख मौजूद अधिकारियों एवं ग्रामीणों के हाथ पांव फूलने लगे। क्षेत्र पंचायत सदस्य अमित सिंह, बिक्कू तिवारी, सुधीर सिंह, सिकंदर, उदयवीर, संतोष तिवारी एवं रंगबहादुर सहित अन्य ग्रामीणों की मदद से किसी तरह से दोनों को बाहर निकाला गया है।
आश्चर्य की बात है कि आजादी की 75वीं स्वर्ण जयंती का ढिंढ़ोरा पीटने वाले तमाम राजनैतिक दल ग्रामीण भारत की वास्तविक तस्वीर पर पर्दा डालने में लगे हैं। जो किसी भी राष्ट्र के लिए सबसे घातक सिद्ध होता है।
न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar