उत्तर-प्रदेश: एक लीटर पानी शुद्ध करने में बर्बाद कर रहे तीन लीटर पानी

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Update: 2022-07-24 11:40 GMT
गोरखपुर। शुद्ध पानी बेचने का दावा करने वाले आरओ (रिवर्स आस्मोसिस) प्लांट संचालक धरती को सुखाकर करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। भूगर्भ जल लगातार पाताल की ओर जा रहा है लेकिन अफसर इस इंतजार में हैं कि कोई आकर बताए कि वह पानी का व्यावसायिक इस्तेमाल कर रहा है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल (प्रबंधन एवं विनियमन) अधिनियम 2019 में आरओ प्लांट और सबमर्सिबल पंप लगाने के नियम बना दिए हैं। व्यावसायिक उपयोग पर शुल्क की भी बात है पर हो कुछ नहीं रहा है।
नीचे गया भूगर्भ जल
गोरखपुर जिले में 15 सौ से ज्यादा आरओ प्लांट लगे हैं। रोजाना लाखों लीटर पानी का दोहन करने के कारण भूगर्भ जल का स्तर दोगुना गहरायी में पहुंच गया है। पहले जहां चार से पांच मीटर गहराई में पानी मिल जाता था वहीं अब आठ से नौ मीटर गहराई में पानी मिल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल्द ही लोग नहीं चेते तो तराई के इस इलाके में भी राजस्थान जैसे हालात हो जाएंगे।
ऐसे बर्बाद हो रहा पानी
आरओ प्लांट में पानी को शुद्ध करने के लिए जमीन से सबमर्सिबल पंप के सहारे पानी निकाला जाता है। इस पानी को फिल्टर से गुजारा जाता है। शुद्ध पानी को टंकियों में स्टोर कर लिया जाता है और बर्बाद हुए पानी को नालियों में बहा दिया जाता है। प्लांट संचालक ही बताते हैं कि एक हजार लीटर पानी में तकरीबन चार सौ लीटर पानी शुद्ध हो पाता है, बाकी पानी नालियों में बहा दिया जाता है।
रिवर्स बोरिंग भी नहीं कराते
आरओ प्लांट संचालक यदि प्लांट में रिवर्स बोरिंग करा दें तो भी पानी बर्बाद नहीं होगा। पानी शुद्ध करने की प्रक्रिया में जो पानी बर्बाद होता है उसे वापस जमीन में डाला जा सकता है। इससे भूगर्भ जल का स्तर ठीक रहेगा और दोबारा पानी का उपयोग हो सकेगा।
यह है नियम
वाणिज्यिक, औद्योगिक, सामूहिक भूगर्भ जल उपभोक्ता, स्कूल, कालेज, होटल आदि को पांच हजार रुपये जमा कर भूगर्भ जल विभाग में पंजीकरण कराना होगा। 10 हजार लीटर से ज्यादा प्रतिदिन पानी का उपभोग करने वालों को हर तीन साल में विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी लेना होगा। भूगर्भ जल विभाग के अधिशासी अभियंता विश्वजीत सिंह ने बताया कि पंजीकरण के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
नगर निगम ने पास किया था प्रस्ताव, अमल अब तक नहीं
21 सितंबर 2019 को नगर निगम की कार्यकारिणी समिति की नवीं बैठक में आरओ प्लांट संचालकों पर कर लगाने का प्रस्ताव पास किया गया था। पार्षदों ने आरओ प्लांट लगाकर व्यापार करने वालों पर शिकंजा कसने और पानी को बचाने के लिए सभी का पंजीकरण कराने को कहा था। कहा था कि पानी बर्बाद न हो इसके लिए पानी को फिर से इस्तेमाल में लेने के लिए संचालक व्यवस्था करें। साथ ही निर्णय लिया गया था कि आरओ प्लांट संचालकों को प्रति वर्ष पांच हजार रुपये पंजीकरण शुल्क के रूप में नगर निगम में जमा करना होगा लेकिन अब तक प्लांटों का सर्वे ही नहीं हो सका है।
15 से 30 रुपये में जार
प्लांट संचालक 20 लीटर का पानी का जार 15 से 30 रुपये में बेचते हैं। जार के लिए कुछ रुपये प्रतिभूति राशि के रूप में जमा भी कराए जाते हैं।
आरओ से निकला पानी यहां कर सकते इस्तेमाल
कार की धुलाई, पौधों की क्यारियों व गमलों में, बर्तन व फर्श धोने में, कपड़ों की आखिरी धुलाई के पहले, रिवर्स बोरिंग से जमीन में डालने आदि।
आरओ प्लांट संचालकों का पंजीकरण कराने के साथ ही पानी को बर्बाद होने से बचाने के लिए सख्त निर्देश दिए जाएंगे। इसकी मानीटङ्क्षरग भी की जाएगी। पानी सभी को बचाना ही होगा। यदि जल्द नहीं चेते तो भविष्य में बहुत दिक्कत होगी। - अविनाश सिंह, नगर आयुक्त।
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