उत्तर-प्रदेश: हिंदू पक्ष ने कोर्ट में कहा- देवता की संपत्ति नष्ट नहीं होती, मंदिर टूट जाने से अस्तित्व समाप्त नहीं होगा, कल भी होगी सुनवाई

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Update: 2022-07-14 14:19 GMT
वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन के मुकदमे में जिला जज की अदालत में गुरुवार को हिंदू पक्ष ने तीसरे दिन भी दलीलें जारी रखीं। इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की नजीरों का हवाला देते हुए अदालत में कहा कि देवता की संपत्ति एक बार उनके पक्ष में निहित हो गई, उसके बाद कभी समाप्त नहीं होगी। कयामत आने तक वह संपत्ति देवता के नाम पर ही चलती रहेगी।
अदालत ने बहस जारी रखते हुए सुनवाई की तारीख 15 जुलाई नियत की है। जिला जज की अदालत में हिंदू पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने श्री राम जन्मभूमि के केस में सुप्रीम कोर्ट की नजीर का हवाला दिया और कहा कि देवता की संपत्ति नष्ट नहीं होती, मंदिर टूट जाने से उसका अस्तित्व समाप्त नहीं होगा, उसका आध्यात्मिक स्वरूप बरकरार रहेगा।
उन्होंने 1937 में बीएचयू के प्रोफेसर ए एस एलटेकर की पुस्तक का जिक्र करते हुए कहा कि पुस्तक में मंदिर टूट जाने के बाद इस बात का जिक्र है कि वहां क्या-क्या बचा है और कहां पूजा हो रही है। अदालत में बहस के दौरान हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने दीन मोहम्मद के केस को अदालत के समक्ष रखा और कहा कि 15 गवाहों ने बताया था कि ज्ञानवापी परिसर में पूजा होती रही और 1993 तक व्यास जी पूजा करते थे, जिसे बैरिकेडिंग कर सील किया गया था।
वक्फ बोर्ड की संपत्ति का कोई सवाल ही नहीं
यह भी कहा कि अप्रत्यक्ष देवता भी हिंदू लॉ में मान्य है, जो देवता हटा दिए गए, उनके हट जाने से भी देवता का स्थान वही रहता है। वक्फ प्रॉपर्टी के संबंध में उन्होंने दलील दी कि मुस्लिम लॉ में स्पष्ट है कि जो प्रॉपर्टी वक्फ को दी जाती है, वह मालिक द्वारा ही दी जा सकती है। इसमें कोई भी वक्फ डीड नहीं है और न ही वक्फ संपत्ति से जुड़ा कोई सबूत न्यायालय में पेश किया गया।
अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने बताया कि 1937 में जो दीन मोहम्मद का फैसला हुआ, वह सभी पर बाध्यकारी नहीं है, क्योंकि उसमें हिंदू पक्षकार ही कोई नहीं था। अदालत ने नियमित बहस जारी रखते हुए सुनवाई की तारीख 15 जुलाई नियत कर दी।
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