उत्तर-प्रदेश: बागपत में बंदरों का आतंक, लोगों में बैठा ऐसा खौफ, जाली वाली जेल में तब्दील हो रहे घर
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बागपत में बड़ौत नगर में बंदरों का आतंक बढ़ गया है। दुकान हो या मकान और मंदिर हो पार्क लगभग हर जगह बंदर कब्जा जमाए हैं। घरों में दाखिल होकर सामान आदि नष्ट कर दे रहे हैं। सड़कों पर बेखौफ घूम रहे बंदरों की दहशत इस कदर बढ़ गई है कि लोग अपने घरों में ही कैद होने लगे हैं। पूरे घर को जाली से कवर करा लिया है। खिड़की से लेकर दरवाजे और छत तक पर जाली, ग्रिल लगवाने को लाखों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। बंदरों के हमले भी लगातार बढ़ रहे हैं। नगरवासियों ने विकराल हो चुकी इस समस्या से निजात दिलाने की मांग की है।
विकराल हुई समस्या, पालिका प्रशासन को उठाने चाहिए ठोस कदम
नवीन जैन बब्बल का कहना है कि नगर में बंदरों का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उत्पाती बंदर दिनभर गलियों, मकान की छतों पर डेरा डाले रहते हैं। ऐसे में लोगों का गलियों में निकलना और मुश्किल हो रहा है। अनिल जैन का कहना है कि बंदरों के आतंक से नगरवासी परेशान हो रहे हैं। बावजूद इसके पालिका प्रशासन इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। बबीता मलिक का कहना है कि उत्पाती बंदर छत पर सूखते कपड़े फाड़ने व खाने-पीने की सामग्री हाथों से झपटकर ले जाते हैं।
घरों पर जाली लगवाने पर लाखों का खर्च
90 प्रतिशत मकानों के खुले हिस्से, खिड़की दरवाजों को लोहे की जाली से बंद कर रखा है।
01 लाख रुपये तक खर्च कर खिड़की दरवाजों को बंद करवाना पड़ता है।
05 हजार रुपये टूटी हुई जाली को दुरुस्त करवाने में लगते हैं। अक्सर बंदरों के कूदने से जाली टूट भी जाती है।
गर्मी में बढ़ जाता है बंदरों का आतंक
तापमान बढ़ने के साथ बंदरों के लिए रहने, खाने-पीने की समस्या होती जा रही है। शहरों में हरियाली नाम मात्र की है। ऐसे में बंदर गली मोहल्लों की छतों और सड़क पर घूमने लगते हैं। शहर की पॉश कॉलोनियों से लेकर पुराने मोहल्ले तक में इनके झुंड रहते हैं। खाने की तलाश में लोगों के घरों में घुस जाते हैं और जमकर उत्पात मचाते हैं।
नगरवासियों को बंदरों से निजात दिलाने के लिए पालिका प्रयासरत है। कई बार पहले पकड़कर जंगल में छोड़े गए थे, फिर बंदर कहीं से आ जाते हैं। जल्द इस समस्या के निस्तारण के लिए ठोस कदम उठाया जाएगा।