उत्तर-प्रदेश: स्टांप विभाग में हुए तबादलों पर उठ रहे सवाल, ऐसे स्थानों पर तबादले हुए जो विकल्प रूप में चुने ही नहीं गए

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Update: 2022-07-08 17:49 GMT
स्टांप एवं निबंधन विभाग में हुए उपनिबंधकों के तबादलों पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। इस बाबत मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया है। कहा गया है कि स्थानांतरण प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं। नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। ऐसे सभी तबादलों की जांच कराने की मांग की गई है।
उपनिबंधकों ने सीएम को पत्र भेजकर कहा है कि इन तबादलों में जमकर खेल हुआ है। चार उप निबंधकों राकेश गौतम, शीलभद्र चन्द्रा, रामसुन्दर यादव एवं अशोक कटारिया का प्रमोशन लंबित है। बावजूद इसके उनका तबादला कर दिया गया। अब उनका प्रमोशन होगा तो फिर स्थानांतरण किया जाएगा। इसके अलावा अन्य गड़बड़ियों का भी आरोप लगाया गया है। पत्र में कहा है कि सत्येंद्र यादव का स्थानांतरण टांडा हुआ जो उनका विकल्प था ही नहीं।
प्रमोद सिह ने इसे चौथा विकल्प और ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने इसे दूसरा विकल्प भरा था उन लोगों को टांडा नहीं दिया गया। अभिषेक सिंह का स्थानांतरण मिर्जापुर किया गया। वह आलापुर में पिछले 5 साल 7 माह से थे। इन्होंने मडियाहूं पहला विकल्प और कादीपुर दूसरा विकल्प भरा था। शिवेन्द्र सिंह का स्थानांतरण लखनऊ चतुर्थ में किया जो उनका विकल्प ही नहीं था। जबकि जितेन्द्र यादव ने पहला विकल्प और राकेश चन्द्रा ने दूसरा विकल्प लखनऊ भरा था पर उन लोगों को यहां नहीं भेजा गया।
अवनीश राय का तबादला गाजियाबाद द्वितीय किया जो उन्होंने विकल्प रूप में भरा ही नहीं था। इनका पहला विकल्प जलालपुर था जो संतराम वर्मा को दिया गया जिसे उन्होंने विकल्प के रूप में भरा ही नहीं था। मनोज विश्वकर्मा ने इसे पांचवा विकल्प तथा प्रमोद सिह ने भी इसे पांचवां विकल्प भरा था पर उन्हें यहां नहीं भेजा गया। ऐसे अन्य उदाहरण भी हैं। राकेश मिश्रा का स्थानांतरण मडियाहूं किया जो उनका विकल्प था ही नहीं। जबकि सत्येन्द्र यादव ने इसे चौथा विकल्प, सुनील सिह ने पहला विकल्प, प्रेम प्रकाश सिह ने तीसरा विकल्प और अभिषेक सिह ने पहला विकल्प भरा था पर उनमें से किसी को यहां नहीं भेजा गया। अवनीश राय का पांचवा विकल्प कासिमाबाद था जो आज भी खाली है।
पूर्व अधिकारी ने कराया खेल
सीएम को भेजे पत्र में आरोप लगाया गया है कि आईजी कैंप कार्यालय पर लिस्ट तैयार करते समय एक सेवानिवृत हो चुके विभाग के अधिकारी ने हाल अधिकारियों के साथ मिलकर मनमाने तरीके से काम कराया। ऐसे में इसकी जांच होनी बेहद जरूरी है। कई उप निबंधक ऐसे हैं जिन्हें लंबा समय होने के बावजूद नहीं हटाया गया जबकि उनसे कम समय वाले उन निबंधकों का तबादला कर दिया गया।
लिपिक को चार्ज देने की तैयारी
आरोप है कि घोसी मऊ में तैनात उप निबंधक सतेंद्र यादव का तो वहां से तबादला कर दिया गया पर वहां किसी को भी नहीं भेजा गया। प्रयास यह है कि सेटिंग कर वहां किसी लिपिक को ही प्रभारी बना दिया जाए।
पत्र केआधार पर तबादलों की पूरी जांच करा ली जाएगी। यदि वास्तव में कोई गड़बड़ी सामने आई तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई करेंगे। स्पष्ट रूप से कहा गया था कि तबादलों में किसी तरह की गड़बड़ी न हो 
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