उत्तर-प्रदेश: धार्मिक उत्पीड़न होने के आधार पर पाकिस्तानी शख्स को मिली थी भारत की नागरिकता, जांच में सही पाए गए दस्तावेज
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कानपुर में पिछले 32 वर्षों से पाकिस्तानी परिवार के रहने के मामले में पुलिस की शुरुआती जांच में एक अहम तथ्य सही पाया गया है। 2013 में मिली नागरिकता के दस्तावेज सही पाए गए हैं। धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर उसको नागरिकता दी गई थी। अब पुलिस उसके साढ़ू के परिवार वालों का सत्यापन कर रही है, क्योंकि उनके ही दोनों बेटे सरकारी नौकरी में हैं।
कोर्ट के आदेश पर जूही थाने में आलम चंद्र इसरानी, मुकेश चंद्र इशरानी, चंद्र लाल इशरानी व एक अन्य पर आलोक कुमार नाम के शख्स ने एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि फर्जी दस्तावेज तैयार कर अवैध तरीके से यहां पर यह सब रह रहे हैं। मुकेश एयरफोर्स में है जबकि चंद्र लाल सरकारी स्कूल में शिक्षक है।
पुलिस ने जब मामले की जांच की तो सामने आया कि आलम चंद्र इसरानी 1990 में वीजा लेकर भारत आए थे। बाद में वीजा की अवधि बढ़ा दी गई थी। धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर 2013 में उनको नागरिता मिल गई थी। यह तथ्य जांच में सही पाया गया है।
यह पहलू जांच में अहम
पुलिस की जांच में सामने आया कि आलम चंद्र के दो बेटे हैं जो लंबी अवधि के वीजा पर भारत में रह रहे हैं। मुकेश व चंद्रलाल उनके साढ़े के बेटे हैं। पुलिस अब आलम चंद्र के साढ़ू व साली के साथ मुकेश व चंद्रलाल के दस्तावेजों की जांच शुरू की है। पुलिस जांच कर रही है कि इस परिवार को भी उस आधार पर नागरिकता मिली थी या नहीं। इससे संबंधित दस्तावेजों का सत्यापन करने की प्रक्रिया जारी है। क्योंकि बगैर नागरिकता के सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती। अगर नागरिकता की प्रक्रिया सही तब वह कार्रवाई की जद में नहीं आएंगे, वरना उन पर कार्रवाई होनी तय है।
जानकारी थी या नहीं, इसकी भी तफ्तीश
तीन दशक से पाकिस्तानी परिवार शहर में रह रहा है। इसकी एलआईयू या खुफिया को जानकारी थी या नहीं। इस बारे में भी अफसर जानकारी जुटा रहे हैं। एक अफसर का कहना है कि मामले की पहले भी जांच हो चुकी है। लेकिन, उच्चाधिकारियों का कहना है कि इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर कानून-व्यवस्था आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि मामले में हर पहलू पर जांच की जा रही है। एक एक तथ्य जुटाने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी।