उत्तर-प्रदेश: बोरा खरीद के पहले टेंडर में स्थानीय उद्यमियों को नहीं मिलेगी राहत, टेंडर जारी हो जाने से चूके
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हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के गोरखपुर खाद कारखाने में बोरों की खरीद के लिए जारी ग्लोबल टेंडर में स्थानीय उद्यमियों को राहत नहीं मिलेगी। मगर, अब बोरे व मेकेनिकल पार्ट्स की खरीद के लिए जो भी नए टेंडर जारी होंगे, उसमें गोरखपुर एवं इसके आस-पास के स्थानीय उद्यमियों को प्राथमिकता मिलेगी।
कारखाने की नौकरी में भी 50 फीसदी स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता मिलेगी। खाद कारखाना के अधिकारियों का कहना है कि स्थानीय उद्यमियों को प्राथमिकता देने संबंधी रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के निर्देश जारी होने के पहले ही ग्लोबल टेंडर जारी हो जाने से अब इसे निरस्त तो नहीं किया जाएगा, मगर आगे के सभी टेंडर में यहां के ही उद्यमियों को मौका मिलेगा।
21 जून तक गोरखपुर खाद कारखाना पूरी क्षमता के साथ संचालित होने लगेगा। यानी रोजाना 3850 मीट्रिक टन खाद का उत्पादन होने लगेगा। इसी के साथ कारखाने में मशीनें लगाने वाली जापानी कंपनी टोयो, एचयूआरएल को इसे हैंडओवर कर देगी। इसके बाद कारखाने का संचालन पूरी तरह एचयूआरएल करने लगेगा। पूरी क्षमता से उत्पादन शुरू होने से आपूर्ति भी बढ़ जाएगी।
ऐसे में जल्द ही बोरे की खरीद के लिए दूसरा टेंडर भी जारी होगा।
कारखाना अधिकारियों के मुताबिक, पहले ग्लोबल टेंडर में कम मात्रा में ही बोरों की खरीद होगी। उधर अब शैक्षणिक और तकनीकी योग्यता की शर्तों को ध्यान में रखकर कारखाने में दी जाने वाली नौकरियों में भी 50 फीसदी स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
गोरखपुर में एचडीपी प्लॉस्टिक बैग बनाने वाली हैं चार फैक्ट्रियां
खाद कारखाने में हर महीने करीब 30 लाख हाईडेंसिटी पॉलिथीन (एचडीपी) यानी उत्कृष्ट श्रेणी वाली प्लास्टिक की बोरियों की आवश्यकता पड़ेगी। गोरखपुर में ऐसी बोरियां बनाने वाली चार फैक्ट्रियां हैं। इनमें प्रियंवदा इंडस्ट्री, एवीआर पेट्रो, माडर्न लेमिनेटर्स और श्रीकृष्णा पॉलीफैब प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। एक और खुलने वाली है।