उत्तर प्रदेश : तटबंध को किया गया ऊंचा, कम हुआ बाढ़ का खतरा

Update: 2022-06-23 07:27 GMT

प्रतीकात्मक तस्वीर 

जनता से रिश्ता : प्रखंड में लगातार 02 वर्षों से बाढ़ ने अपना कहर दिखाया है। बरसात के दिनों में वाया नदी के जलस्तर बढ़ने और झाझा नदी के उफनाने से लगभग 70 प्रतिशत इलाका पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है। 2020 व 2021 में वाया नदी के तटबंधों में दरार आने से वाया नदी के किनारे बसे साइन, करनेजी, बिदेशरपट्टी, शंकर बिंदवारा, परवारा, मखुआ, पकड़ी, पटेढा, मनोरा, चकगुलामुद्दीन, श्यामपुर, हौजपुरा, जारंगी, जारंग, सिहमा और मौना आदि गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया। औइससे प्रखंड का काफी हिस्सा बाढ़ के चपेट में आ गया। बाढ़ के कारण करीब 15 दिनों तक सरैया-गौरौल भाया बेलसर मुख्य मार्ग पर साइन, मुजिया, मनोरा और बीबीपुर रोड पर तीन से चार फीट पानी का बहाव जारी रहा।

प्रशासन द्वारा बाढ़ पूर्व की तैयारी का असर प्रखंड के करनेजी पंचायत के वार्ड नंबर 4 में देखने को मिला है। करनेजी पंचायत के बिदेशर पट्टी टोले के वार्ड नंबर 4 में स्थित वाया नदी के भूतहा बांध की मररमती से बाढ़ का खतरा अब कम होता दिख रहा है, क्योंकि जब जब बाढ़ आती है तो पानी का दवाब यहां काफी अधिक रहता है। इसी भूतहा बांध के बार-बार टूटने से बाढ़ का पानी पूरे प्रखंड में फैल जाता है। समाजसेवी जफीरउद्दीन ने बताया कि इस साल बाढ़ से पूर्व ही मनरेगा योजना के तहत करीब 1800 फीट तक भूतहा बांध पर मिट्टी डालकर तटबंध को काफी ऊंचा किया गया है। 2007 में जब बाढ़ ने कहर बरपाया था, तब इस भूतहा बांध को तत्कालीन मुखिया मो. जहीरउद्दीन ने काफी ऊंचा बनवाया था। फिर डेढ़ दशक के बाद वर्तमान मुखिया ने इसके निर्माण में रुचि दिखाई है। वहीं वाया नदी के तटबन्धों के किनारे जल संसाधन विभाग के बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण प्रबंधन द्वारा करीब 2000 मिट्टी का बैग भी उपलब्ध कराया गया है। इन सब उपायों से इस वर्ष बाढ़ का खतरा काफी कम होता दिख रहा है। करनेजी पंचायत के लोगों ने इस तटबंधों की मररमती के बाद राहत की सांस ली है। वहीं दूसरी ओर झाझा नदी पर कहीं भी तटबंध नहीं होने से अधिक मात्रा में बारिश होने पर उसके किनारे बसे गांवों में पानी घुसने का खतरा बना रहेगा।

सोर्स-hindustan

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